In the Spotlight: A Peek at Our Recent Projects

Presenting glimpses from my involvement in various shows as a member of the creative team. Featured credits: Veer Warrior, Vashikaran Yakshini, and Pakshiraj. #audio_series #audio #shows

Kudos to the entire team for their dedication and talent in bringing these projects to life! Special Mention – Himanshu, Anand, Neha, and Shubham

Three Quotes by Mohit Trendster

Just hang in there, be a relentless journeyman, for every journeyman’s path lies the potential to emerge as a champion.

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They say that Good ultimately wins, Okay Sir, Agreed! but the win-loss record of Good vs. Evil is like population of Moldova vs. China.

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Genuine citations often lack corporate-glitteriness.

#mohit trendster #मोहित शर्मा ज़हन #mohitness #mohit-trendster

Audio Series Awards 2022-2023

I was a team member and editor within a team that achieved three awards. These accolades include two consecutive Golden Mikes in 2022 and 2023 for the programs “Chanakya” and “Super Yoddha,” as well as recognition at the India Audio Summit and Awards 2023 in the category of Podcast/Audio Streaming – Religion & Spirituality, where “Chanakya” was awarded Best Show.

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My Audio series Stats, Updates: May 2023

The engaging storylines and immersive sound designs have garnered rave reviews, making our series must-listen for enthusiasts seeking thrilling adventures and unforgettable characters. Thank you for being part of this incredible audio series journey.

Gum Chot (Hindi Story) – Mohit Sharma Zahan

गुम चोट (कहानी)

शारदा ने अंग्रेजी फ़िल्मों में देखा था कि इस तरह मनोचिकित्सक या मनोविज्ञानी की देखरेख में कई लोग समूह में बैठते हैं। अपने जैसे अनजान लोगों के बीच बैठकर लोग अपने मन की बातें, दुख-दर्द बांटते हैं और यह प्रक्रिया मानसिक रूप से ठीक होने में उनकी मदद करती है। अक्सर कई बार जो बातें वे खुद को जानने वाले लोगों के बीच नहीं कर पाते, उन बातों को किसी अनजान व्यक्ति के सामने बताना आसान हो जाता है। अपनी पुरानी सहेली रूबी की सलाह पर वह अपने गंभीर अवसाद और परिवार व समाज से उचटते व्यवहार को ठीक करने के लिए एक मनोचिकित्सक के पास जाने लगी। वहीं कुछ दिन बाद इन साप्ताहिक सेशन की शुरुआत हुई जहां शहर और बाहर के लगभग 2 दर्जन लोग साथ बैठकर अपनी समस्याओं के बारे में दूसरों को बताने लगे और दूसरों का मर्म सुनने लगे। पहले कुछ हफ्ते शारदा उन 5-7 चुप लोगों में थी जो अपनी कहने के बजाय दूसरों की व्यथा सुनना चाहते थे। फिर कुछ प्रोत्साहन के बाद एक सेशन में शारदा ने बोलना शुरू किया…कुछ इस तरह जैसे वह इतने दिनों की भड़ास निकाल रही हो।

“मेरा नाम शारदा कमल है। अभी इस से ज़्यादा जानकारी देना असहज लग रहा है। आप में से कुछ लोगों के बारे में जानकर मुझे यह शक है कि मेरी परेशानी कितनी बड़ी है या उसे परेशानी कहा भी जाना चाहिए या नहीं। फ़िल्मों की तरह मुझमें ऐसी क्षमता नहीं है कि एक बार में अपने जीवन का सार सुना दूं, जो मन को कचोटती बातों में इस समय याद आ गई वही साझा कर रही हूँ। स्कूल के दिनों में मेरी कुछ सहपाठी जिनको मैं सहेली मानती थी उन्होंने मुझे मानसिक रूप से काफी कमज़ोर किया जिसका असर मुझपर अब तक है। उनमें से एक नाम श्वेता अब भी मुझे रात में करवटें बदलने पर मजबूर कर देता है। क्लास 5 में नए स्कूल में पहुंची तो अंदर बहुत डर था। टीचर ने जिन लड़कियों के साथ बैठाया, फिर लगातार 4-5 साल उन्हीं के साथ बैठना हुआ। पहले छोटी बातों पर श्वेता के ताने शुरू हुए, मुझे पलट कर ठीक से जवाब देना नहीं आता था। घर पर किसी ने ऐसा सिखाया ही नहीं था। पापा-माँ तो यही बताते थे कि दूसरों से अच्छा व्यवहार करोगे तो सब तुमसे अच्छे से रहेंगे। फिर कभी मेरी ड्रेस पर इंक गिरा देना, किताब से पन्ने निकाल लेना जैसी शैतानियां होने लगी। श्वेता के साथ-साथ ‘मेरे ग्रुप’ की अन्य लड़कियां भी वैसा ही करनी लगी। धीरे-धीरे मुझे इस सब की इतनी आदत हो गई और पता ही नहीं चला कि यह गलत है। शायद ऐसा ही हर पीड़ित के साथ होता है, उसे दुख सहने, आहत होने की आदत पड़ जाती है। 3 साल बाद जब किशोरावस्था आई, तो उन सबने मेरे चेहरे और शरीर का मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया। उस उम्र से हम सभी गुज़र चुके हैं और तब आत्मविश्वास टूटने का मतलब है शायद ज़िन्दगी भर अधूरे से बन कर रह जाना। मुझे खुद से नफरत होने लगी। मैं श्वेता और पूनम जैसी क्यों नहीं दिखती? मेरे शरीर में बदलाव इतना धीरे क्यों हो रहे हैं? क्या कमी है मुझमें? जैसे सवालों ने एक अच्छी छात्रा को औसत बना दिया था। उस समय किसके पास जाती और क्या शिकायत करती? अपने दर्द को अपने लिए भी जब शब्दों में ही नहीं ला पा रही थी! किसी को बताकर भी क्या कर लेती? समाज का जवाब होता है – “यह तो बचपन में सबके साथ होता है”, “यह तो सामान्य बात है”, “तुम भी वैसी बन जाओ”, “उनका सामना करो”, “यह कोई अपराध थोड़े ही है”…सही बात है छोटे बच्चों की छोटी बातें अपराध में कहाँ गिनी जा सकती हैं। ऊपर से टीचर, अभिभावकों की नज़र में…शायद मेरे बाल मन के लिए भी वे सभी मेरी सहेलियां थी। एकदम से उठकर दूसरी जगह कहाँ बैठती? टीचर और बाकी क्लास को क्या समझाती? अलग बैठकर बाकी पीरियड बच जाती, लेकिन इंटरवल और फ्री पीरियड में श्वेता और गैंग से कैसे बचती?

समय बीत रहा था और मैं खुद में सिमटती जा रही थी। मेरी पढ़ाई, सेहत का स्तर काम चलाऊ चलता रहा। फिर एक दिन श्वेता ने कुछ नया करने की ठानी। उसने छुट्टी से पहले मेरी फ़्रॉक के पीछे लाल इंक डाल दी। साइकिल स्टैंड से स्कूल से बाहर जाने में काफी समय लगता और कुछ देर बाद एक लड़की ने मुझे बताया कि मेरी फ़्रॉक पर माहवारी का लाल धब्बा है। अब तक जाने कितने बच्चों की नज़रों और हंसी को नज़रें झुकाये नज़रअंदाज़ कर रही थी, लेकिन आज लग रहा था कुछ बात तो है। जब मैंने फ्रॉक पर स्वेटर बांधा तो श्वेता और सहेलियों के हँसने की आवाज़ आई। अब तक कितने ही लड़के मुझे देख चुके होंगे। मैं शर्म के मारे तेज़ी से स्कूल से निकल गई और 2 दिनों तक स्कूल नहीं गई…शायद रोती रही। 

उम्र के किसी पड़ाव पर जो बात हमें बहुत छोटी लगती है, वही उम्र के किसी दूसरे मोड़ पर जीना मुहाल कर देती हैं। इनके अलावा बात-बात पर ताने मारने वाले शिक्षकों-शिक्षिकाओं का कैटेलिस्ट अलग जुड़ रहा था। ऐसा लगता था जैसे घर या अपनी स्थिति की सारी भड़ास वे लोग बच्चों पर निकालते थे। एक बच्ची बड़ी उम्मीद से रोज़ सुकून की सांस खोजती थी और रोज़ उसे नियति से वही जवाब मिलता था। आखिर इस जेल से वह जाए कहाँ? ऐसे ही एक दिन मेरे घरवालों का मज़ाक बनाए जाने का मैंने विरोध किया। यह बात श्वेता को इतनी लगी कि वह लगातार उनपर भद्दे मज़ाक करने लगी जिससे साथ की लड़कियां भी असहज होने लगीं। एक सीमा बाद इतने समय का गुस्सा उबाल पर आया और आखिरकार मैंने टूटी खिड़की की लोहे की डंडी उसके सिर में दे मारी। वह बड़ी नहीं थी पर श्वेता के सिर पर ऐसे कोण पर लगी थी कि उसके माथे से खून फ़ूट पड़ा।

जो बातें अब समय के मरहम से कुछ मंद पड़ी हैं उन्हें तब किसी को इतनी आसानी से समझा पाना मेरे लिए नामुमकिन था। मैं तब समझाने की जो कोशिशें की भी उनका उल्टा असर हुआ। इसके बाद तो जैसे स्कूल, सहपाठियों और परिवार सबकी नज़र में मैं कोई उग्रवादी बन गई। वर्षों तक उनके सामने या मेरे हाव-भाव से झलक रहा मेरा मानसिक उत्पीड़न किसी को नहीं दिखाई दिया…हाँ, लेकिन अब मैं अछूत, सलाख मारने वाली लड़की बन गई। पता नहीं क्यों इस घटना के बाद भी मैं उसी स्कूल में पढ़ती रही। सबसे अलग बैठी बचपन-किशोर काल जीने के बजाय सूखी आँखों से औपचारिकता निभाती हुई। वैसे और भी कुछ वजहें रही होंगी पर यह भी एक बड़ी वजह थी जो मैं सामाजिक रूप से थोड़ी पिछड़ी, दबी सी रही। कॉलेज, नौकरी की तैयारी, नौकरी और शादी के बाद भी हर बार लोगों से मिलना ही एक डर जैसा होता है। काश मेरे जीवन का शुरुआती पड़ाव प्रोत्साहन भरा और घुटन वाला न होता, तो अगले पड़ावों के लिए मैं बेहतर ढंग से तैयार हो पाती और उन्हें पूरी तरह, बिना डरे जी पाती।

श्वेता की चोट तो हफ़्ते भर में ठीक हो गई थी पर मेरी चोट इतने सालों बाद भी ताज़ा है…और अब भी किसी को नहीं दिखती।

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कलरब्लाइंड बालम – Colorblind Baalam in Paperback

Promo poster

1) – कलरब्लाइंड बालम (Colorblind Baalam)
https://www.amazon.in/gp/product/8194642914/

नमस्ते, इस साल ई-बुक संस्करण में प्रकाशित दोनों किताबें अब पेपरबैक में उपलब्ध हैं। लगातार स्नेह बनाए रखने के लिए, आप सबका आभार! आगे के सफर को बेहतर बनाने के लिए भी आपके सहयोग वाले धक्के की आशा है। प्यार से धक्का मार के लगभग 100 कहानियों का लुत्फ़ उठाएं। ❤

2) – कुछ मीटर पर ज़िन्दगी (Kuch Meter par Zindagi)
https://www.amazon.in/gp/product/8194642922/

Covers

Nominee – StoryMirror Author of the Year Award 2019 #zahan

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I am really glad that I have been nominated for the biggest award & recognition in the digital literature & publishing field – StoryMirror Author of the Year Award – 2019 by StoryMirror (https://storymirror.com), which is India’s largest multilingual platform for readers & writers. Now I need your support to win the title. Please visit this link: https://awards.storymirror.com/author-of-the-year/bengali/author/6cbipr55 and click on the vote button. You will have to log in to StoryMirror to vote for me. Please Vote and help me to win this award!

Something new… #animation #art

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Learning about animation one step at a time….

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Nominate your Favorite: Indian Comics Fandom Awards 2018 #ICFA_2018

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Nominations for the Indian Comics Fandom Awards 2018 are now open.

ICFA 2018 Categories

*) – Best Blogger-Reviewer

*) – Best Cartoonist

*) – Best Colorist

*) – Best Comics Collector

*) – Best Fanfiction Writer

*) – Best Fan Artist

*) – Best Fan Work (Comic, Video, Music etc)

*) – Best Webcomic

*) – Best Cosplay

*) – Hall of Fame

ICF Awards 2018 results to be calculated based on previous awards polls, nominations. No category-wise separate polls this year. However, you can still nominate a fan or artist in these categories. Your nomination mail/message equals to one vote. Email nominee’s name, category (maximum 3 category nominations for 1 person) – letsmohit@gmail.com or inbox us (Indian Comics Fandom), Deadline is 5 PM Sunday, 30 December 2018

#freelance_talents #icfawards #indiancomics #indiancomicsfandom #ICFA_2018 #freelancetalents #comics #art

Oct 2018 Updates #mohit_trendster

Freelance Talents nomination certificate India 5000 Best MSME Award 2018

Event – Sooraj Pocket Books: Baaten, Kitaben, Mulaqaten #2 (30 September 2018)

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Google Local Guides Level #06

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Event appearance News Dainik Jagran (October 2018) and Dainik Bhaskar (September 2018)

 

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Dawriter Top Writers list

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Super Cricket Level 10

Interview with Author Ajay Kumar Singh (Part #01)

Interview (Part #02)

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