किन्नर माँ (कहानी)
July 26, 2016 at 8:12 pm (bonsai kathayen, drama, Fiction, Hindi, life, Mohit Sharma Trendster, Uncategorized)
Tags: Mohit-Trendster, Mohitness, social, Society, Stories
मवाली भूत (कहानी) #trendster
July 26, 2016 at 12:34 pm (Hindi, horror, humor, Mohitness, Uncategorized, update)
Tags: Comedy, Fiction, Hindi, India, Mohit-Trendster, Story
गिरधारी बाबा ऊपरी संकट, भूत-प्रेत-चुड़ैल भगाने में पारंगत थे। एक सुनसान रात बाबा भारी ज्वर से पीड़ित अपने आश्रम के बाहर पड़े होते हैं और कई भूत, चुड़ैल और प्रेत उन्हें घेर लेते हैं। बुखार मे तप रहे बाबा कराहते हुए कहते हैं – “चीटिंग! अब इस हालत में बदला लोगे तुम लोग?”
भूत दल के मुखिया – “ओहोहोहो…देखो बहुरानी आदर्श-उसूलों की बात कर रहीं हैं! तब ये बातें कहाँ होती हैं जब हमारा ध्यान बँटाकर हमे झाड़ू-चिमटे पेले जाते हैं? भगवान की आड़ लेकर मंत्र फूंके जाते हैं? हमारा भी तब ऐसा ही हाल होता है। खैर, हम बदला-वदला लेने नहीं आये हैं, हफ्ता लेने आये हैं।”
गिरधारी बाबा – “हफ्ता?”
मुखिया भूत – “हाँ! हमारे नाम पर इतना पैसा कमाते हो, तुम और तुम्हारे शिष्य ऐश से रहते हैं। कुछ हमारा भी बनता है ना?”
गिरधारी बाबा – “वो सब तो ठीक है पर तुम लोग पैसों का क्या करोगे? छी-छी-छी मर गए पर लालच नहीं गया…”
यह बात सुनकर भूतों ने गुस्से में गिरधारी बाबा को खाट से गिरा दिया और अच्छे से धूल-कीचड में मेरिनेट किया।
मुखिया भूत – “आया मज़ा या और करें…वो पैसा हमे अपने जीवित सगे-संबंधियों, मित्रों की मदद के लिए चाहिए। जिन्हें बहुत ज़रुरत है सिर्फ उनतक पैसा पहुंचाना होगा। तुम्हारे यहाँ जो नए पीड़ित आएंगे उनपर लगी आत्माओं से निपटने में हम मदद करेंगे।”
गिरधारी बाबा – “अगर मैं ना कर दूँ तो…”
मुखिया भूत – “अबे! कोई अंगारों पे थोड़े ही नचवा रहें है तुझे। ज़रा सा हफ्ता ही तो मांगा है। मना करोगे तो हम तुम्हारे काम में निरंतर विघ्न-बाधा डालते रहेंगे। एक हफ्ते मे जो 25-30 केस निपटाते हो वो 5-7 रह जाएंगे। तुम्हारी ही इनकम और गुडविल कम होगी…सोच लो?”
समाप्त!
===========
– मोहित शर्मा ज़हन
99 का फेर (कहानी) #trendster
July 24, 2016 at 11:36 pm (Fiction, Hindi, India, Mohit Sharma Trendster, Uncategorized)
Tags: freelance talents, Message, Mohit-Trendster, Mohitness, Story, updates
एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में उच्च पद पर कार्यरत हितेश कंपनी की तरफ से मिले टूर पर अपने माता-पिता को यूरोप के कुछ देश घुमाने लाया था। टूर के दूसरे दिन उसके अभिभावक सूरज कुमार और वीणा गहन विषय पर चिंतन कर रहे थे।
सूरज कुमार – “टूर तो कंपनी का है पर फिर भी यहाँ घूमने-फिरने में काफी खर्चा हो जाएगा।”
वीणा – “हाँ! कल लंच का बिल देखा आपने? ऐसे तो इन 15 दिनों के टूर में हितेश 2-3 लाख खर्च कर देगा। आज से कम से कम लंच का खर्च तो बचा ही लेंगे हम…तुम्हे पता नहीं मैं घर से क्या लायी हूँ?”
कुछ देर बाद हितेश के कमरे के बाहर होटल स्टाफ के कुछ लोग खड़े थे। वीणा ने लंच बचाने के लिए कमरे में ही मैगी नूडल बनाने का प्रयास किया, जिसकी गंध और धुआं आने पर हाउसकीपिंग ने होटल मैनेजर को रिपोर्ट किया। मैनेजर को भारी-भरकम जुर्माना चुका कर हितेश सहमे हुए माँ बाप के पास पहुंचा।
हितेश – “किसके लिए बचा रहें है आप लोग पैसा और कब तक बचाते रहेंगे? बिना पैसे का बोझ रखे सांस लेना कितना मुश्किल है? लाखो में कमाता हूँ और अगर निठल्ला होता तब भी बैठ कर खाता पूरी ज़िन्दगी, इतना पैसा-प्रॉपर्टी सब जोड़ रखा है आप दोनों ने! कम से कम जीवन के एक पड़ाव में तो इस निन्यानवें के फेर से निकलिए। मैं आपका बच्चा हूँ और मुझे यह बात बतानी पड़ रही है आपको जबकि उल्टा होना चाहिए। आपको पता है यह होटल, घूमना, प्लेन की टिकट सब मैंने खरीदा क्योकि मुझे पता था अगर टूर कंपनी की तरफ से न बताता तो आप लोग कोई न कोई बहाना बना देते।”
फिर हितेश और उसके माता-पिता ने पिन ड्राप साइलेंस में मैगी खायी।
समाप्त!
======-
मोहित शर्मा ज़हन
अर्द्धअच्छा काम (कहानी)
July 22, 2016 at 8:29 pm (experiment, Fiction, Mohit Trendy Baba, Mohitness, story, Uncategorized, update)
Tags: Hindi, India, laghu katha, Mohit-Trendster, Mohitness, Stories
दिनेश ऑफिस से थका हारा घर पहुंचा। उसकी पत्नी रूपाली जो 1 महीने बाद अपने मायके से लौटी थी, उसके पास आकर बैठी। दोनों बीते महीने की बातें करने लगे। फिर दिनेश ने महीने की बातों के अंत के लिए एक किस्सा बचा कर रखा था। “परसो एक आदमी फ़ोन पर बात कर रहा था। जल्दबाज़ी में ऑफिस के बाहर बैग छोड़ गया, मैंने फिर वापस किया…नहीं तो काफी नुक्सान हो जाता बेचारे का।”
रूपाली – “अरे वाह…प्राउड ऑफ़ यू! आखिर पति किसके हो! पर इसमें क्या ख़ास बात है जो बताने से पहले इतना हाइप बना रहे थे?”
दिनेश – “पहले मैंने बैग चेक किया। उसमे वीडियो कैमरा, डाक्यूमेंट्स, 75 हज़ार रुपये, घडी-कपडे टाइप सामान था। तो 17 हज़ार रुपये निकाले, बाकी सामान एक बंदे से उसके पते पर छुड़वा दिया।”
रुपाली – “हौ! चोर! ऐसा क्यों किया? गलत बात!”
दिनेश – “देखो जैसा लोग काम करते हैं, वैसा उन्हें फल मिलता है, लापरवाही करोगे तो कुछ सज़ा मिलनी चाहिए ना? मुझे तो भगवान ने बस साधन बनाया। अब उस आदमी को सबक मिलेगा।”
रुपाली – “ये देखो गीता पढ़ कर भगवान कृष्ण के दूत बनेंगे सर। अरे लौटा दो बेचारे के पैसे।”
दिनेश – “नहीं हो सकता, ये देखो।”
रुपाली – “यह क्या है?”
दिनेश – “जो फ़ोन तुम्हे गिफ्ट किया उसकी रसीद। 16990 रुपये का है, अब 10 रुपये लौटाने क्या जाऊं। इसकी एक-एक ऑरेंज चुस्की खा लेते हैं।”
रुपाली – “यू आर सच ए…”
दिनेश – “आखिर पति किसका हूँ?”
समाप्त!
=================
– मोहित शर्मा ज़हन
टप…टप…टप…(हॉरर कहानी)
July 19, 2016 at 3:58 pm (Hindi, horror, Mohit Sharma Trendster, Mohitness, story, Uncategorized)
Tags: freelance talents, India, Mohitness, Short Stories, updates
चन्द्रप्रकाश को पानी बहने से चिढ थी और पानी बहना तो वो सह लेता था पर कहीं से धीमे-धीमे पानी का रिसना या नल से पानी टपकना…
टप…टप…टप…
जैसे हर टपकती बूँद उसके मस्तिष्क पर गहरे वार करती थी। जब तक चन्द्रप्रकाश पानी का टपकना बंद न कर देता तब तक वह किसी बात पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता था। कभी भी 1 मिनट से ज़्यादा नहीं हुआ होगा जो वह पानी बहने पर दौड़कर नल बंद करे न गया हुआ। अगर कुछ ही सेकण्ड्स में कोई बात सिर में दर्द करने लगे तो किसी की भी प्रतिक्रिया ऐसी ही होगी।
टप…टप…टप…
एक छुट्टी के दिन वह घर में अकेला था और बाथरूम की टंकी बहने लगी। वह अपनी धुन में तुरंत उसे बंद कर आया। फिर एक-एक कर के घर के सभी नल बहते और वह खीज कर उन्हें बंद कर आता। एक-दो बार उसे भ्रम हुआ की बाथरूम में या बाहर के नल के पास उसने किसी परछाई को देखा पर मोबाइल पर व्यस्त उसने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।
टप…टप…टप…
लो हद ही हो गयी, अब रसोई का नल चलने लगा। चन्द्रप्रकाश के सिर में दर्द शुरू हो चुका था, उसने रसोई की टंकी कसकर बंद की और मुँह उठाया तो देखा दीवार से चिपकी चिथड़े हुए शरीर और सफ़ेद रक्तरहित चेहरे वाली लड़की उसको घूर रही है। डर के झटके से चन्द्रप्रकाश पीछे जाकर गिरा। लड़की ने हल्की मुस्कान के साथ नल थोड़ा सा घुमाया…
टप…टप…टप…
अब चन्द्रप्रकाश का दिमागी मीनिया और सामने दीवार पर लटकी लड़की का डर आपस में जूझने लगे। अपनी स्थिति में जड़ हाथ बढ़ाये वह खुद से ही संघर्ष कर रहा था।
टप…टप…टप…
हर टपकती बूँद लावे की तरह सीधे उसके दिमाग पर पड रही थी। कुछ ही देर में उसका शरीर काफी ऊर्जा व्यय कर चुका था।
टप…टप…टप…
किसी तरह घिसटते चन्द्रप्रकाश ने लड़की से नज़रें बचाते हुए टंकी बंद की और निढाल होकर गिर गया। अचानक लड़की गायब हो गयी, चन्द्रप्रकाश को लगा कि उसने अपने डर पर विजय पा ली लेकिन तभी पानी बहने की आवाज़ आने लगी और अत्यधिक मानसिक-शारीरिक दबाव में चन्द्रप्रकाश के दिमाग की नस फटने से उसकी मौत हो गयी। अपने जीवन के आखरी क्षणों में उसने जो पानी की आवाज़ सुनी वो बाहर शुरू हुई बारिश की थी पर कमज़ोरी के कारण उस आवाज़ में उसका दिमाग अंतर नहीं कर पाया।
नल से पानी फिर टपकने लगा।
टप…टप…टप…
समाप्त!
– मोहित शर्मा ज़हन
राष्ट्र-रक्षक (कहानी)
July 18, 2016 at 11:11 pm (Hindi, life, message, Mohitness, story, Uncategorized)
Tags: Fiction, Hindi, mohit trendy baba, Mohitness, Stories, updates
उफनते समुद्र से फामित देश के राष्ट्रपति और उनके परिवार को नौका में बचा कर लाते लाओस कोस्ट गार्ड (तटरक्षक) प्रमुख को उनकी टीम के सदस्य घृणा भाव से देख रहे थे। अब तक जिस व्यक्ति को उन्होंने अपना आदर्श माना, आज उसपर से उनका भरोसा उठ गया था। कुछ देर पहले प्रमुख को 2 आपातकाल संदेश आए थे और सीमित साधनों के साथ वो सिर्फ एक जगह जा सकते थे। अचानक ख़राब हुए मौसम में एक संदेश राष्ट्रपति की नाव से था और दूसरा विपरीत दिशा में डूब रहे एक छोटे जहाज़ से जिसमे लगभग 150 लोग थे। टीम राष्ट्रपति और उनके परिवार को तट पर पहुंचा कर उस जहाज़ की दिशा में गए और 120 में से 72 लोगो को बचा पाये। 48 लोगो की जान चली गयी पर सबको पता था कि तटरक्षक प्रमुख पर राष्ट्रपति की तरफ से इनामो की बौछार होने वाली है। सब कुछ निपटाने के बाद कोस्ट गार्ड प्रमुख ने अपना पक्ष बताने के लिए टीम मीटिंग रखी।
“मैं यहाँ सबकी आँखों में पढ़ सकता हूँ कि आप लोग मुझसे नाराज़ हैं। सबको लगता है की राष्ट्रपति की जान बचाने का फैसला मैंने पैसे, प्रोमोशन के लालच में लिया और 5 लोगो को बचाने में 48 लोगो की जान गंवा दी। फामित देश में नाम का लोकतंत्र हैं और राजनैतिक उथल-पुथल मची रहती है। राष्ट्रपति के कारण इतने समय बाद कुछ समय से देश में स्थिरता आई है। अगर ये मर जाते तो गृहयुद्ध निश्चित था, जिसमे हज़ारों-लाखों लोग मरते। गृहयुद्ध की स्थिति ना भी होती तो सिर्फ नए सिरे से चुनाव होने पर पहले ही मंदी के दबाव में झुके देश पर अरबों डॉलर का बोझ पड़ता। जिसका असर पूरे फामित के लाखो-करोडो लोगो के जीवन पर पड़ता और उनमे किस्मत के मारे हज़ारों लोग भुखमरी, आत्महत्या, बेरोज़गारी में मारे जाते। किसी ट्रैन ट्रैक पर अगर कोई जीवित व्यक्ति हो तो क्या ट्रैन का ड्राइवर उसकी जान बचाने के लिए ट्रैन पटरी से उतारने का जोखिम लेगा? मुझे उन लोगो की मौत का बहुत दुख है और शायद आज के बाद मुझे कभी चैन की नींद ना आये पर उस समय मैं 2 में से एक ही राह चुन सकता था।”
समाप्त!
– मोहित शर्मा ज़हन
स्वर्ण बड़ा या पीतल? (कहानी)
July 17, 2016 at 7:07 pm (Hindi, Mohit Sharma Trendster, Mohitness, story, Trendster, Uncategorized, update)
Tags: India, Mohitness, observation, Sports, Stories
शीतकालीन ओलम्पिक खेलों की स्पीड स्केटिंग प्रतिस्पर्धा में उदयभान भारत के लिए पदक (कांस्य पदक) जीतने वाले पहले व्यक्ति बने। यह पदक इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योकि भारत में शीतकालीन खेलों के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। मौसम के साथ देने पर हिमांचल, कश्मीर जैसे राज्यों में कुछ लोग शौकिया इन खेलों को खेल लेते थे। भारत लौटने पर उदयभान का राजा की तरह स्वागत हुआ। राज्य और केंद्र सरकार की तरफ से उन्हें 35 लाख रुपये का इनाम मिला। साथ ही स्थानीय समितियों द्वारा छोटे-बड़े पुरस्कार मिले। जीत से उत्साहित मीडिया और सरकार का ध्यान इन खेलों की तरफ गया और चुने गए राज्यों में कैंप, इंडोर स्टेडियम आदि की व्यवस्था की गयी। खेल मंत्रालय में शीतकालीन खेलों के लिए अलग समिति बनी। इस मेहनत और प्रोत्साहन का परिणाम अगले शीतकालीन ओलम्पिक खेलों में देखने को मिला जब उदयभान समेत भारत के 11 खिलाडियों ने अपने नाम पदक किये। उदयभान ने अपना प्रदर्शन पहले से बेहतर करते हुए स्वर्ण पदक जीता।
जब मीडियाकर्मी, उदयभान के घर पहुंचने पर उनका और परिवार का साक्षात्कार लेने आये तो उदयभान के माता-पिता कुछ खुश नहीं दिखे। कारण –
“रे लाला ने इतनी मेहनत की! पहले से जादा लगा रहा…गोल्ड जित्ता, फेर भी पहले से चौथाई पैसा न दिया सरकारों ने। यो के बात हुई? इस सोने से बढ़िया तो वो पीतल वाला मैडल था।”
उदयभान के साथ सभी मीडियाकर्मियों में मुस्कराहट फ़ैल गयी। पहले स्पॉटलाइट में उदयभान पहला और अकेला था…अब उसका पहला होना रिकॉर्ड बुक में रह गया और उसके साथ 10 खिलाडी और खड़े थे। जिस वजह से उसे पहले के कांस्य जीतने पर जितने अवार्ड और पैसे मिले थे, उतने इस बार स्वर्ण जीतने पर नहीं मिले।
समाप्त!
– मोहित शर्मा ज़हन
===============
Read टप…टप…टप…(हॉरर) Story – Mohit Trendster Archives
परिवार बहुजन (कहानी)
July 16, 2016 at 4:19 pm (Fiction, Mohitness, Social, story, Uncategorized)
Tags: Hindi, India, Mohit-Trendster, Society, Story
एक छोटे कस्बे की आबाद कॉलोनी में औरतों की मंडली बातों में मग्न थी। “बताओ आंगनबाड़ी की दीदी जी, बच्चों के स्कूल की टीचर लोग हम बाइस-पच्चीस साल वाली औरतों को समझाती फिरती हैं कि आज के समय में एक-दो बच्चे बहुत हैं और यहाँ 48 साल की मुनिया काकी पेट फुलाए घूम रहीं हैं। घोर कलियुग है!”
“मैं तो सुने रही के 45 तक जन सकत हैं औरत लोग?”
“नहीं कुछ औरतों में रजोनिवृत्ति जल्दी हो जाती है और कुछ में 4-5 साल लग जाते हैं। फिर भी, क्या ज़रुरत थी काका-काकी को इस उम्र में यह सब सोचने की?”
यह बात सुनकर पास से गुज़रती उस दम्पति की पडोसी बोली।
“अरे! उन कुछ बेचारों की तरफ से भी सोच कर देखो। आज इस कॉलोनी में कितने बूढ़े जोड़ों के साथ उनके बच्चे रहते हैं? इनके भी दोनों बच्चे बाहर हैं जो तीज-त्योहारों पर खानापूर्ति को आते हैं। अब इनकी बाकी उम्र होने वाले शिशु को पाल-पोस कर काबिल बनाने में कट ही जायेगी। घर में पैसे की तंगी नहीं है तो इनमे से किसी एक को या दोनों को कुछ होता भी है तो बच्चे का काम चल जाएगा।”
बात फैली और आस-पास के इलाके के आर्थिक रूप से ठीक दम्पति प्राकृतिक या टेस्ट ट्यूब विधि से उम्र के इस पड़ाव में संतान करने लगे। पैसों और संपत्ति के लालच में कई बच्चे माँ-बाप का अधिक ध्यान रखने लगे कि कहीं उनके अभिभावक दुनिया में उनके छोटे भाई-बहन न ले आएं।
समाप्त!
===========
– मोहित शर्मा ज़हन
अच्छा घोटाला (कहानी) #मोहितपन
July 13, 2016 at 9:25 pm (Hindi, life, message, Mohit Sharma Trendster, Mohit Trendy Baba, observation, Social, story, Uncategorized)
Tags: Fiction, freelance talents, Mohit-Trendster, Mohitness, nature, Society
प्रोजीट के राष्ट्र प्रमुख फिलांद्रे के सुरक्षा सलाहकार रॉनी अपने सुरक्षाकर्मियों से तेज़ दौड़ते हुए राष्ट्र प्रमुख के पास पहुंचे, जो पहले ही इमरजेंसी मीटिंग में थे।
रॉनी – “चीफ! हमें उन जंगलों में बचावकर्मी भेजने होंगे।”
फिलांद्रे – “तुम जानते हो रॉनी इस तूफ़ान से हुई न्यूक्लियर संयंत्र दुर्घटना के बाद उस जंगल का 60-70 किलोमीटर का क्षेत्र विकिरण के प्रभाव में आ गया है। वहाँ 7-8 कबीलों को बचाने में करोडो डॉलर्स का खर्च होगा, इस से बेहतर तो यह होगा कि हमें उस क्षेत्र को सील कर क्वारंटाइन घोषित कर दें।”
रॉनी – “…लेकिन चीफ मुझे यह खबर मिली है कि न्यूक्लियर एक्सीडेंट के समय आपके छोटे भाई और बहन जंगल सफारी पर थे। वहाँ पोस्टेड लोगो ने बताया कि तूफ़ान के बाद उनका दल भटक गया, दल द्वारा मदद के लिए एक मैसेज भेजा गया था पर वो लोग लोकेट नहीं हो सके…हो सकता है वो दोनों और उनकी टीम अब किसी कबीले के साथ भटक रही हो। ये कबीले संयंत्र से दूर जंगल के अन्य छोर के पास हैं तो अभी भी उम्मीद है कि उन तक जानलेवा विकिरण का प्रभाव कम हुआ हो।”
करोडो की ऐसी-तैसी कर फिलांद्रे ने पूरी फ़ौज लगा दी और एक-एक कर सारे कबीले बचा लिए, कबीलों के लोगों पर विकिरण का गंभीर असर नहीं हुआ था। फिलांद्रे चिंतित था कि किसी कबीले के पास उसके भाई, बहन की खबर नहीं थी। बचाव अभियान का नेतृत्व कर रहे रॉनी का भी आखरी कबीले के बचाव के बाद से कोई अता-पता नहीं था। फिर फिलांद्रे को रॉनी का एक पत्र मिला जिसमे उसके भाई-बहन की टीम का पता था। रॉनी ने उन्हें टीम सहित किडनैप करवाया था ताकि उनकी आड़ में वो सभी कबीलों को बचा सके। देश का सुरक्षा सलाहकार होने के कारण उसके काम और राष्ट्र प्रमुख को दी गयी जानकारी पर किसी ने शक नहीं जताया। अब रॉनी किसी अंजान देश फरार हो चुका था।
मुस्कुराते हुए फिलांद्रे ने सभी कबीलों के इलाज और अन्य जंगली क्षेत्र में उनके पुनर्वास का आदेश दिया।
समाप्त!
============-
मोहित शर्मा ज़हन
राष्ट्र-प्रकृति (कहानी) #mohit_trendster
July 13, 2016 at 3:43 pm (bonsai kathayen, Freelance Talents, Hindi, Mohit Sharma Author, Social, story, Uncategorized)
Tags: laghu katha, Message, Mohitness, Stories