Promo #01 – Bada Munh, Badi Baat: The Mohit Sharma Podcast Show

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Nazariya Now Presents : Bada Munh, Badi Baat

”The Mohit Sharma Podcast Show”

Hindi, English

Coming Soon….

नज़रिया नाउ के सौजन्य से एक ऑडियो-पॉडकास्ट शो शुरू कर रहा हूँ। इस पॉडकास्ट शो में सामाजिक, हास्य, कला, प्रेरणादायक विषयों पर बोलूँगा, कभी काव्य-कहानी भी होंगी। आशा है इस नये माध्यम से आप सबके मन में और अधिक जगह बना सकूँ।

Available: Vimeo, Soundcloud, 4Shared, Clyp, Dailymotion, Tumblr etc.

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Sketch Poster, Motion Poster of Short Film Kathputli (A Struggle for Control)

 Motion Poster
 Sketch Poster

आगामी शार्ट फिल्म कठपुतली का मोशन पोस्टर और स्केच पोस्टर, Team: Anuraag Tripathi, Ankerarchit Singh, Mohit Sharma Trendster, Ankita Tripathi, Ashutosh Saxena, Kamal Joshi #freelance_talents

Also available: Facebook, Vimeo, 4Shared, Tumblr, Mediafire etc.

Special collaborative painting

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Collaborative painting with artist Jyoti Singh
Title – Megha
Medium – Oil on canvas
Size – 24″24″ inch
Gift for my fiancee…Megha 🙂

Spark 2018 Event

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Freelance Talents is proud to be associated with Rock Aashram

Event – Spark 2018, Location – Lucknow

3 Hindi Moral Stories for Kids #Zahan

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बच्चों के लिए ये तीन कहानियां 2018 में नींव पत्रिका में प्रकाशित हुई .

1) – सामान्य जीवन

बीनू बंदर अपने घर में सबका लाडला था। उसकी हर तरह की ज़िद पूरी की जाती थी। उसका परिवार भारत के उत्तराखण्ड प्रदेश स्थित जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क में रहता था। जंगल में अन्य युवा बंदर ऊँचे से ऊँचे पेड़ों पर लटकने, चढ़ने का अभ्यास करते रहते थे। वहीं बीनू को यह सब रास नहीं आता था। किसी के टोकने पर बीनू कहता कि जंगल के बाकी जीवों की तरह हमें सामान्य जीवन जीना चाहिए। उनकी तरह धरती पर विचरण करना चाहिए। छोटा और गुस्सैल होने के कारण कोई उसे अधिक टोकता भी नहीं था। एक बार वर्षा ऋतु में जंगल के बड़े हिस्से में बाढ़ आ गयी।

बंदर समुदाय ने कई जीवों की जान बचायी जबकि बीनू मुश्किल से अपनी जान बचा पाया। बीनू निराश था कि वह अन्य बंदरों की तरह जंगल के जानवरों की मदद नहीं कर पा रहा था। बाढ़ का पानी सामान्य होने के बाद बीनू के माता-पिता ने उसे समझाया। हर जीव की कुछ प्रवृत्ति होती है, जो उसके अनुसार सामान्य होती है। संभव है अन्य जीवों के लिए जो सामान्य हो वह तुम्हारे लिए ना हो। इस घटना से बीनू को अपना सबक मिला और वह तन्मयता से पेड़ों पर चढ़ना और लटकना सीखने में लग गया।

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2) – अवसर का लाभ

मीता को खेलों में बड़ी रूचि थी। वह बड़ी होकर किसी खेल की एक सफल खिलाडी बनना चाहती थी। एक बार मीता के स्कूल में जूनियर क्रिकेट कैंप का आयोजन तय हुआ। इस कैंप में जबलपुर, मध्य प्रदेश शहर के स्कूली लड़कों और लड़कियों की अलग प्रतियोगिता होनी थी। कैंप में अच्छा प्रदर्शन करने वाले बच्चों को भविष्य के लिए छात्रवृत्ति दी जाती। मीता ने सोचा कि क्रिकेट तो लड़कियों का खेल नहीं है। क्रिकेट में सिर्फ लड़कों का भविष्य है। उसने कैंप के लिए आवेदन नहीं दिया।

क्रिकेट कैंप के दौरान ही भारतीय महिला क्रिकेट टीम विश्व कप में उप-विजेता रही। इस खबर के बाद कैंप को अधिक प्रायोजक मिल गये। मीता की कक्षा की एक लड़की सौम्या को छात्रवृत्ति मिली और वह जूनियर स्तर की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में भी चुन ली गयी। अन्य खेलों में मीता हमेशा सौम्या से आगे रहती थी। अगर वह क्रिकेट कैंप में हिस्सा लेती तो निश्चित ही सौम्या की जगह सफलता पाती। मीता को सबक मिला कि जानकारी के अभाव में किसी अवसर को छोड़ देना गलत है। अगर किसी में प्रतिभा और लगन है तो किसी भी खेल में सफलता पायी जा सकती है। कोई खेल केवल लड़कों या लड़कियों के लिए नहीं बना है। मीता ने अब से हर अवसर का लाभ उठाने का निश्चय किया।

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3) – पर्यटन का महत्त्व (Fiction)

गुजरात स्थित गिर राष्ट्रीय उद्यान, वन्य अभ्यारण्य कई जीव-जन्तुओं को आश्रय देता है। वहाँ रहने वाले कुछ विद्वान जानवरों के बीच ज्ञान की होड़ थी। कोई किताबें पढता, कोई इंटरनेट पर खोजता तो कोई बड़े-बूढ़ों के साथ समय बिताता। हर विद्वान जानवर कई तरह से जानकारी हासिल करने की कोशिश में लगा रहता। हर वर्ष होने वाली विद्वानों की बैठक का समय था। सब विद्वान एक-दूसरे से अपना ज्ञान साझा करते और फिर सर्वसम्मति से विजेता की घोषणा की जाती थी। पिछले 12 वर्षों से भोला भालू सबसे बड़े विद्वान का खिताब जीत रहा था। इस बार भी विद्वानों की बैठक में भोला की जीत हुई। भोला मंच पर आया। उसने बताया कि वह इस प्रतियोगिता से संन्यास ले रहा है ताकि अन्य विद्वानों को अवसर मिल सके। साथ ही उसने अपनी जीत का राज बताया।

भोला – “जंगल के सभी विद्वान ज्ञान का भण्डार हैं। एक जैसे स्रोत होने के कारण सबकी जानकारी लगभग बराबर है। मेरी अतिरिक्त जानकारी और अनुभव के पीछे पर्यटन का हाथ है। मैं देश-विदेश के मनोरम स्थानों पर घूमने जाता हूँ। वहाँ रहने वाले जीवों से मिलता हूँ। उनका अलग रहन-सहन देखता हूँ। उनसे वहाँ प्रचलित कई बातें सीखता हूँ। इस तरह किताबी जानकारी के साथ मैं वास्तविक जीवन का अनुभव जोड़ता रहता हूँ। यही कारण है कि मैं इतने लम्बे समय से गिर का सबसे बड़ा विद्वान बन रहा था।”

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Nazms in new novel

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Mit Gupta’s Teri Isshq Wali Khushboo #romantic Novel (sprinkled with nazms-poetic seasoning by yours truly) will be released on wednesday…Valentine’s Day! ❤ #romance #novel #mitgupta #hindi #literature #poetry #mohitness #mohit_trendster

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…..and a random bonus pic!

Nazm (Mastermind Hindi Novel)

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शुभानंद कृत मास्टरमाइंड (जावेद, अमर, जॉन सीरीज) नॉवेल में प्रकाशित नज़्म।

अभी तो सिर्फ मेरी मौजूदगी को माना,
दिमाग में दबे दरिन्दों से मिलकर जाना।
तुझे तड़पा-तड़पा कर है खाना,
पीछे दरिया रास्ता दे तो चले जाना।

कभी किसी की चीख से आँखों को सेका है?
कभी बच्चे का जिस्म तेज़ाब से पिघलते देखा है?
अभी वक़्त है…रास्ते से हट जाओ,
किसी का दर्द दिखे तो पलट जाओ।
जिसकी दस्तक पर दिलेरी दम तोड़ती है…
मौत से नज़रे मत मिलाओ!

क़ातिल आँधियों मे किसका ये असर है?
दिखता क्यों नहीं है हवा मे जो ज़हर है?
चीखें सूखती सी कहाँ मेरा बशर है?
ये उनका शहर है…

धुँधला आसमां क्यों शाम-ओ-सहर है?
आदमख़ोर जैसा लगता क्यों सफ़र है?
ढ़लता क्यों नहीं है ये कैसा पहर है?
ये उनका शहर है…

जानें लीलती है ख़ूनी जो नहर है.
माझी क्यों ना समझे कश्ती पर लहर है?
हुआ एक जैसा सबका क्यों हश्र है?
ये उनका शहर है…

रोके क्यों ना रुकता…हर दम ये कहर है?
है सबके जो ऊपर..कहाँ उसकी मेहर है?
जानी तेरी रहमत किस्मत जो सिफर है!
ये उनका शहर है….

इंसानों को तोले दौलत का ग़दर है!
नज़र जाए जहाँ तक मौत का मंज़र है!
उजड़ी बस्तियों मे मेरा घर किधर है?
ये उनका शहर है…
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#ज़हन

हाल ही में आयोजित सूरज पॉकेट बुक्स कार्यक्रम में यह नज़्म मंच पर पढ़ी।

Sooraj Pocket Books Event, Delhi (January 2018)

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28 जनवरी 2018 को पीतमपुरा, दिल्ली में सूरज पॉकेट बुक्स के पहले आयोजन में शिरकत करने और मंच संचालन का मौका मिला। लेखक शुभानंद जी के नये नॉवेल “मास्टरमाइंड” में मेरी नज़्म शामिल थी। इस तरह सूरज पॉकेट बुक्स में यह मेरी तीसरी पोएट्री थी। भविष्य में इस प्रकाशन के साथ कुछ और किताबों में मेरा काम पढ़ने को मिलेगा।

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यह इवेंट सफल रहा…जहाँ कई युवा लेखक, कवि दिख रहे थे, वहीं परशुराम शर्मा जी, आबिद रिज़वी जी, आशा शैली जी और किशोर श्रीवास्तव जी जैसे वरिष्ठ साहित्यकार मौजूद थे। अपनी कुछ नज़्म, काव्य पेश किये और कुछ यादगार साक्षात्कार लिये। पहली एंकरिंग में कई बातें पता चली, आगे ध्यान रखकर और बेहतर करने की कोशिश रहेगी।

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