अपना उधार ले जाना! (नज़्म) – मोहित शर्मा ज़हन

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अपना उधार ले जाना!
तेरी औकात पूछने वालो का जहां,
सीरत पर ज़ीनत रखने वाले रहते जहाँ,
अव्वल खूबसूरत होना तेरा गुनाह,
उसपर पंखो को फड़फड़ाना क्यों चुना?
अबकी आकर अपना उधार ले जाना!
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पत्थर को पिघलाती ज़ख्मी आहें,
आँचल में बच्चो को सहलाती बाहें,
तेरे दामन के दाग का हिसाब माँगती वो चलती-फिरती लाशें।
किस हक़ से देखा उन्होंने कि चल रही हैं तेरी साँसे?
तसल्ली से उन सबको खरी-खोटी सुना आना,
अबकी आकर अपना उधार ले जाना!
माँ-पापा के मन को कुरेदती उसकी यादें धुँधली,
देखो कितनो पर कर्ज़ा छोड़ गई पगली।
ये सब तो ऐसे ही एहसानफरामोश रहेंगे,
पीठ पीछे-मिट्टी ऊपर बातें कहेंगे,
तेरी सादगी को बेवकूफी बताकर हँसेंगे,
बूढे होकर बोर ज़िन्दगी मरेंगे।
इनके कहे पर मत जाना,
अपनी दुनिया में खोई दुनिया को माफ़ कर देना,
अबकी आकर अपना उधार ले जाना!
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ख्वाबों ने कितना सिखाया,
और मौके पर आँखें ज़ुबां बन गयीं…
रात दीदार में बही,
हाय! कुछ बोलने चली तो सहरिश रह गई…
अब ख्वाब पूछते हैं….जिनको निकले अरसा हुआ,
उनकी राह तकती तू किस दौर में अटकी रह गई….
कितना सामान काम का नहीं कबसे,
उन यादों से चिपका जो दिल के पास हैं सबसे,
पुराने ठिकाने पर …ज़िन्दगी से चुरा कर कुछ दिन रखे होंगे,
दोबारा उन्हें चैन से जी लेना…
इस बार अपना जीवन अपने लिए जीना,
अबकी आकर अपना उधार ले जाना!
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बेगैरत पति को छोडने पर पड़े थे जिनके ताने,
अखबारों में शहादत पढ़,
लगे बेशर्म तेरे किस्से गाने।
ज़रा से कंधो पर साढ़े तीन सौ लोग लाद लाई,
हम तेरे लायक नहीं,
फिर क्यों यहाँ पर आई?
जैसे कुछ लम्हो के लिए सारे मज़हब मिला दिए तूने,
किसी का बड़ा कर्म होगा जो फ़रिश्ते दुआ लगे सुनने….
छूटे सावन की मल्हार पूरी कर आना,
….और हाँ नीरजा! अबकी आकर अपना उधार ले जाना!
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*नीरजा भनोट को नज़्म से श्रद्धांजलि*, कल प्रकाशित हुई ट्रिब्यूट कॉमिक “इंसानी परी” में यह नज़्म शामिल है।

इंसानी परी – Peripheral Angel Comic (Freelance Talents)

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Tribute Comic 

This short biographical Hindi comic is based on the true life story of Neerja Bhanot (7 September, 1963-5 September, 1986), a flight purser with Pan Am Airlines. She worked as a model, and later as a flight purser, but her private life was far from glamorous. She had an early arranged marriage, which was marred by spousal abuse with frequent demands for dowry and even forced starvation. Fed up with the constant mental and physical abuse, she left her husband. Later on, she applied for a job as flight purser at Pan Am. She got selected, trained, and took the job.

On 5 Sep, 1986, the ill-fated Pan Am Flight 73, on which she was on board staff, was hijacked by terrorists affiliated with Abu Nidal Organisation, in Karachi, where it landed. The terrorists asked the flight staff to collect the passports of the passengers on board so that they could identify the Americans whom they intended to kill. Neerja managed to hide the passports of 41 Americans on board, and thus saved their lives. A few hours later, when the terrorists got tired with the whole operation, they decided to kill everyone on the plane. Neerja succeeded in slipping off a few passengers and the pilots through the emergency exit, while she herself died of bullet wounds whilst trying to save some children. She deliberately chose not to escape, even when she had her chance, just so that she could save others. She was only 22 when she died. She received India’s highest civilian gallantry award, Ashok Chakra, Tamgha -eInsaniyat, from Pakistan and Special Courage Award (United States Department of Justice) posthumously. Her murderers were captured and sentenced, some of whom succeeded in escaping.

This comic does not focus on the aftermath of her death in the hijacking event. It only tries to depict the inspirational story of Neerja as a graphic narrative, in particular her struggles, and the events which happened during the hijacking incident.

Available (Online read or download):

Readwhere, Scribd, Author Stream, ISSUU, Freelease, Slideshare, Archives, Fliiby, Google Books, Play store, Daily Hunt, Smashwords, Pothi and Ebook Library etc.

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Illustrator – Tadam Gyadu (PencilDude) Author – Mohit Sharma (Trendster) Colorist – Harendra Saini Cover Colorist – Dheeraj Dkboss Kumar Calligrapher – Youdhveer Singh

Magazine: Anik Planet (अनिक प्लैनेट) – Issue #01

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Cover story for Comics Our Passion magazine Anik Planet – अनिक प्लैनेट (Issue # 01), November 2016. They were kind enough to advertise my upcoming projects “Kadr” and “Peripheral Angel” in this issue.

कलाकार श्री सुरेश डिगवाल

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मेरे एक कलाकार-ग्राफ़िक डिज़ाइनर मित्र ने मुझसे शिकायत भरे लहज़े में कहा कि मैं अक्सर भारतीय कॉमिक्स कलाकारों, लेखकों के बारे में कम्युनिटीज़, ब्लॉग्स पर चर्चा करता रहता हूँ पर मैंने कभी सुरेश डिगवाल जी का नाम नहीं लिया। मैंने ही क्या अन्य कहीं भी उसने उनका नाम ना के बरारबर ही देखा होगा। वैसे बात में दम था, अगर एक-दो सीजन का मौसमी कलाकार-लेखक होता तो और बात थी पर सुरेश जी ने डोगा, परमाणु, एंथोनी जैसे किरदारों पर काफी समय तक काम किया। उसके बाद भी कैंपफायर ग्राफ़िक नोवेल्स, पेंगुइन रैंडम हाउस, अन्य कॉमिक्स, बच्चो की किताबों और विडियो गेम्स में उनका काम आता रहा। अब सुरेश जी गुड़गांव में जेनपैक्ट कंपनी में एक कॉर्पोरेट लाइफ जी रहे हैं।

जहाँ तक उनपर होने वाली इतनी कम चर्चा की बात है उसपर मेरी एक अलग थ्योरी है। जिसको तुलनात्मक स्मृति थ्योरी कहा जा सकता है। किसी एक समय में एक क्षेत्र में जनता ज़्यादा से ज़्यादा 4 नाम ही याद रख पाती है (बल्कि कई लोगो को सिर्फ इक्का-दुक्का नाम याद रहते हैं)। उन नामो के अलावा उस क्षेत्र में सक्रीय सभी लोग या तो लम्बे समय तक सक्रीय रहें या फिर उन नामो को नीचे धकेल कर उनकी जगह लें। भाग्य और अन्य कारको से अक्सर कई प्रतिभावान लोग उस स्थान पर नहीं आ पाते जिसके वह हक़दार होते हैं, ओलंपिक्स की तरह दशमलव अंको से छठवे, सातवे स्थान या और नीचे स्थान पर रह जाते है जहाँ आम जनता स्मृति पहुँच नहीं पाती। सुरेश जी का दुर्भाग्य रहा कि एक समय वह इतना सक्रीय रहते हुए भी प्रशंसको के मन में बड़ा प्रभाव नहीं छोड़ पाए।

उनकी इंकिंग, कलरिंग जोड़ियों पर टिप्पणी नहीं करूँगा पर मुझे उनकी शैली पसंद थी। मुझे लगता है अगर वह कुछ और प्रयोग करते, कुछ भाग्य का साथ मिल जाता तो आज मुझे अलग से उनका नाम याद ना करवाना पड़ता। एक वजह यह है कि बहुत से कलाकारों को अपना प्रोमोशन करना अच्छा नहीं लगता, इन्टरनेट-सोशल मीडिया की दुनिया से दूरी बनाकर वो अपनी कला में तल्लीन रहते हैं। खैर, कॉमिक्स के बाहर एक बहुत बड़ी दुनिया है जहाँ सुरेश डिगवाल जी कला निर्देशन, एनिमेशन, चित्रांकन, विडियो गेम्स, ग्राफ़िक डिजाईन और शिक्षा में अपना योगदान दे रहे हैं। आशा है आगे हम सबको उनका काम निरंतर देखने को मिलता रहेगा।
अधिक जानकारी के लिए इन्टरनेट पर सुरेश जी की ये मुख्य प्रोफाइल्स और पोर्टफोलियो हैं –
https://www.behance.net/yogmaya
http://www.coroflot.com/Yogmaya/portfolio
https://www.linkedin.com/in/sureshdigwal

लेख: सेलेब्रिटी पी.आर. का घपला (मोहित शर्मा ज़हन)

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पैसा और सफलता अक्सर अपने साथ कुछ बुरी आदते लाते हैं। कुछ लोग इनसे पार पाकर अपने क्षेत्र में और समाज में ज़बरदस्त योगदान देते हैं वहीं कई शुरुआती सफलता के बाद भटक जाते हैं। एक बड़े स्तर पर आने के बाद प्रतिष्ठित व्यक्ति पर इमेज, ब्रांड मैनेजमेंट की ज़िम्मेदारी आ जाती है लोगो पर, अब या तो आप मेहनत और साफ़-सुथरे तरीके से ये काम करे या फिर अपनी मन-मर्ज़ी का जीवन जीते हुए बाद मे अपने कृत्यों को सही ठहराने की कोशिश करें। इन्ही में कुछ विख्यात लोग लोकप्रियता बढ़ाने के लिए अपने पीआर एजेंट या नेटवर्क का सहारा लेते हैं। जैसे अगर कोई सेलिब्रिटी कोई गलत बात, काम करता पकड़ा जाए या उसकी वजह से जनता, समाज को कोई नुक्सान हो तो अपनी टीम की मदद से वो ये बातें प्रचारित करने की कोशिश करेगा कि उसका ये मतलब नहीं था वो तो इस काम से समाज की मानसिकता दिखाना चाहता/चाहती थी या उसे सेलिब्रिटी होने की सज़ा मिल रही है। ये सही है….सेलिब्रिटी होने के मज़े तक सब ठीक पर उस लाइफ में एडजस्ट करने वाले हिस्सो में शिकायत करो।

उदाहरण के लिए किसी सेलिब्रिटी ने एक मुद्दे पर बिना जानकारी के कोई बेवकूफी भरी बात कही अब उसका सोशल मीडिया आदि जगह मज़ाक उड़ा। तो उसकी बेवकूफी गयी एक तरफ और उसने निकाल लिया अपने अल्पसंख्यक, महिला या किसी अन्य मजबूरी का कार्ड, फिर क्या मीडिया, जनता का ध्यान कहीं और गया। यानी अगर उस बात की तारीफ़ होती तब कोई दिक्कत नहीं थी, जहाँ एक वर्ग ने मज़ाक उडा दिया तो घुमा-फिरा कर बात अपने ऊपर मत आने दो।

साथ ही ये लोग समय, स्थिति के अनुसार नए-नए स्टंट सोचते हैं। जैसे अपने बीते जीवन में किसी दुखद काल्पनिक घटना को जोड़ देना या किसी बीमारी (खासकर मानसिक) से जूझकर उस से जीतना दिखाना। क्या यार….आपके एक जीवन में घटनाओ का घनत्व कुछ अधिक नहीं हो गया? मैं यह नहीं कह रहा कि सब बड़े लोग ऐसा दिखावा करते है पर ऐसा करने वाले लोगो का अनुपात बहुत ज़्यादा है। आम जन – ख़ास लोग सबका जीवन चुनौतियों, संघर्षो वाला होता है पर ज़बरदस्ती के पीआर स्टंट कर के कम से कम खुद से झूठ मत बोलिये। इस नौटंकी के बिना भी आप लोकप्रिय और महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर जनता का ध्यान ला सकते हैं (बशर्ते आप वैसा करना चाहें ना की केवल अपनी पब्लिसिटी के चक्कर में पड़े रहे)। हालांकि, पैसे के पीछे भागते मीडिया को नैतिक-अनैतिक से कोई मतलब नहीं होता। हर दिन कुछ नया वायरल करने की होड़ में मीडिया के लिए कुछ नैतिकता की सोचना पाप है। वैसे व्यक्ति के बारे में थोड़ी रिसर्च और पहले का रिकॉर्ड देख कर आप जान सकते हैं कि कौन सही दावा कर रहा है और कौन पीआर के रथ पर सवार है।

जो पाठक सोच रहे है कि क्या फर्क पड़ता है? बेकार में मुद्दा बनाया जा रहा है! अगर ऐसा करने से किसी को नुक्सान नहीं पहुँच रहा तो क्या गलत है? उन मित्रो से मेरा यह कहना है कि कभी-कभी किसी वर्ग को लंबे समय से छद्म रूप से हो रहा नुक्सान सीधे नुक्सान से बड़ा होता है। जिन लोगो को वाकई मीडिया, जनता के ध्यान-पैसे की आवश्यकता है वो बेचारे तरसते रह जाते हैं और उनका हिस्सा, उनकी फुटेज गलत संस्थाएं, लोग खा लेते हैं। मुश्किल है पर सबसे निवेदन है कि अपरंपरागत न्यूज़ सोर्सेज पर ध्यान दें, सही लोगो-संस्थाओ को आगे बढ़ने मे हर संभव मदद करें। छोटे बदलाव से धीरे-धीरे ही सही पर बड़ा असर पड़ेगा।

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My We Heart It Profile

Posted by Mohit Sharma at 1:40 AM