April 10, 2015 at 8:10 pm (421 Brand Beedi Federation, art, India, message, Mohit Sharma Author, Mohit Sharma Trendster, Mohit Trendy Baba, Mohitness, Poet Mohit Sharma, Social, story)
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…परदे के पीछे
प्रतिष्ठित टीवी चैनल के आगामी रिएलिटी शो के लिए बैठी कॉलेज से निकली उत्साहित इंटर्न टीम ने हज़ारों एंट्रीज़ में से काफी मशक्कत के बाद कुछ दर्जन योग्य लोग छांटें। तभी उनके सीनियर्स काम का अवलोकन करने पहुँचे।
इंटर्न – “मैडम! इन लोगो कि प्रोफाइल्स हमारे शो के प्रारूप से फिट बैठती है, अब इनमे से किसका चयन करें और किसका नहीं? सब लगभग बराबर से है।”
प्रबंधक मैडम – “इनमे से कोई भी नहीं चलेगा।”
इंटर्न – “ऐसा क्यों मैडम?”
प्रबंधक मैडम – “फिर से लिस्ट बनाओ और अनाथ, अपंग, अपराध या उत्पीड़न के शिकार लोगो को सेलेक्ट करो। उनकी कहानी बोरिंग हो तो उसमें और ड्रामा एलिमेंट्स जोड़ों। ऐसे ही किसी को भी सेलेक्ट मत किया करो….”
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April 10, 2015 at 1:07 am (421 Brand Beedi Federation, art, Freelance Talents, horror, Mohit Sharma Author, Mohit Trendy Baba, Mohitness, Prince Ayush, story)
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Hara-Aam ki Pillii | Horror Short Film (Hindi) – Prince Ayush, Mohit Trendster & Snath Mahto. #freelance_talents
https://www.youtube.com/watch?v=8RPEOPQyR3U
*NSFW, Contains stong language.
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April 10, 2015 at 12:01 am (421 Brand Beedi Federation, art, Freelance Talents, India, Mohit Sharma Author, Mohit Sharma Trendster, Mohit Trendy Baba, Mohitness, Poet Mohit Sharma)
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लघु कथा – “दहेज़ डील” (from ‘Bonsai Kathayen’ collection)
कसबे का लड़का लग गया मोबाईल टावर लगाने और उसकी मरम्मत करने वाली कंपनी मे। तनख्वाह भी अच्छी और घर से भी ठीक-ठाक। कसबे कि जवान लडकियाँ (जो उसकी जाति की थी) उनके माँ-बाप के लिए वो लड़का सोने की खान था। ऐसे ही एक आशावान माँ-बाप अपना भाग्य आजमाने लड़के के घर पहुँचे।
कसबे भर मे लगातार मिल रहे मुफ्त के सम्मान से लड़के के परिवार के भाव बढ़ गए थे।
लड़के की माँ – “हम्म …लड़की तो सुन्दर है पर दहेज़ का क्या रहेगा?”
लड़की के पिता – ” ….जी! बारहवी के बाद कम्पूटर कोरस भी किया है, ढाई हज़ार कमा रही है स्कूल मे। सारे काम कर लेती है। वो शादी अच्छे से करेंगे …और ..”
लड़के के पिता – ” ….हाँ जी! पर दहेज़ का भी तो बताइए …”
लड़की की माँ – “जी …देने को तो ज्यादा कुछ नहीं है. ..पर ..”
लड़के की माँ -” फिर तो जी मुश्किल है …”
लड़की के पिता – “वकील साहब स्टेशन के पास ज़मीन है थोड़ी और थोड़े घर के पास कुछ खेत है।”
लड़के के माता-पिता ज़मीन सुनकर खुश हो गए।
“तो आप ज़मीन दोगे बेटी के साथ ….”
लड़की के पिता – “नहीं जी, आप बेटे जी से कह कर 2-3 टावर लगवा दो मोबाइल वाले हमारी ज़मीन और खेतो मे। उनके जो हर महीने 20-22 हज़ार आयेंगे वो आप लोगो के …”
– मोहित शर्मा (ज़हन) #mohitness #mohit_trendster
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April 8, 2015 at 1:26 am (421 Brand Beedi Federation, art, Event, Freelance Talents, Mohit Sharma Author, Mohit Sharma Trendster, Mohit Trendy Baba, Mohitness, Trendster, Trendy Baba)
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पत्रकार – “आप किस के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठे है?”
युवक – “आप लोगो के…”
पत्रकार – “क्यों ऐसा क्या कर दिया हम मीडिया वालो ने?”
युवक – “पिछले साल मेरी सहकर्मी ने एक लड़ाई के बाद मुझ पर बलात्कार का आरोप लगाया। आप लोगो ने बिना जांच किये पहले पन्ने पर वो खबर छापी। फैसला आने से पहले मैं दोषी हो गया, आपके सौजन्य से मेरे खिलाफ कैंडल मार्च होने लगे और आप लोगो ने उस खबर का फॉलोअप किया जब तक…
…जब तक किसी अनजान जनूनी का पत्थर मेरे पिता जी के सर पर लगकर उन्हें पागल नहीं कर गया, जब तक माँ ने सल्फास की गोलियाँ खाकर अपनी जान नहीं ले ली। पर अब जब यह साबित हुआ कि मैं निर्दोष हूँ तो पहले पेज पर वह खबर क्यों नहीं? दोषियों का फॉलोअप क्यों नहीं? अपनी गलती मानते लेख क्यों नहीं? दूसरों के साँस लेने, पलकें झपकाने तक में खामी निकाल देने वाले अपनी गलतियों की ज़िम्मेदारी लेने में घोंघे क्यों बन जाते हो?”
अगले दिन अखबार की हेडलाइन! –
“सरफिरे युवक के सड़क पर बैठ जाने से शहर की नयी सड़क पर यातायात व्यवस्था में अवरोध। 3 घंटे तक यात्रियों का हाल बेहाल।”
– मोहित शर्मा (ज़हन) #mohitness #mohit_trendster #trendy_baba
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April 6, 2015 at 7:16 pm (421 Brand Beedi Federation, Culture, Freelance Talents, Mohit Sharma Author, Mohit Sharma Trendster, Mohit Trendy Baba, Mohitness, Poet Mohit Sharma, Trendster, Trendy Baba)
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Bonsai Kathayen (2013) katha sangrah ki pehli laghu katha.
मासूम ममता
“हद है यार … कुतिया ने परेशान करके रखा है। अभी सिंधी साहब ने अपने बागीचे से इसको भगाया, ज़रा सी देर को मैंने फ्यूज़ बदलने के लिए गेट खोला होगा और ये मेरे आँगन मे घुस आई।”
“हाँ! गर्ग भाई साहब! आदत जो बिगड़ गयी है इसकी, रोटी-बिस्कुट खा-खा कर बिलकुल सर पर ही चढ़े जा रही है। कल से नोट कर लो आप और मै जब भाभी जी लौटकर आएँगी उन्हें भी बता दूँगी इसको अब से कुछ नहीं देना है।”
कुतिया अब भी मासूम नज़रों से पूँछ हिलाती हुई और लगातार कूं-कूं करती मिस्टर गर्ग को देख रही थी।
एक पल को तो गर्ग जी मासूमियत से हिप्नोटाइज से हुए पर फिर कुतिया को रोष से घूरती हुई सिंधी भाभी की भाव-भंगिमाओं से सहमति जताते हुए गर्ग जी ने कुतिया के मुँह पर एक लात रसीद की।
“सही किया भाई साहब! अब से दरवाज़े पर डंडा रखूंगी।”
सिंधी मेमसाब तो जैसे दर्द से सिसकारी मारती कुतिया को डपटते हुए बोलीं।
रात मे गली मे कुत्तो के भोकने-गुर्राने और लड़ने की तेज़ आवाजों ने पूरे मोहल्ले को जगा दिया।
पर इस बार अपने घरो से पहले बाहर निकलने वाले थे श्रीमती गर्ग और श्रीमान सिंधी
“क्या हुआ गर्ग भाभी?”
“गली की कुतिया ने सामने नाले किनारे बच्चे दे दिए और साथ की गली वाले कुत्तों बच्चो को मार कर उठा ले गए। थोड़ी देर कुतिया सबसे लडती रही जब तक उन्हें कॉलोनी वालो ने भगाया तब तक तो उन्होंने इसका भी आधा सर खा ही लिया …..लगता है ये भी नहीं बचेगी।
अब तक आँखें मॉल रहे श्रीमान गर्ग और श्रीमती सिंधी की मामला समझ आने पर नज़रें मिली और दोनों ने ही तड़पती कुतिया को देख कर अपनी गलती की मोन स्वीकृति दी।
समाप्त!
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April 2, 2015 at 10:30 pm (421 Brand Beedi Federation, Analysis, art, Article, Culture, Freelance Talents, History, India, message, Mohit Sharma Author, Mohit Sharma Trendster, Mohit Trendy Baba, Mohitness, Poet Mohit Sharma, Trendster, Trendy Baba)
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Mohit Trendster @ Lucknow, 2010
पर्यटन के स्वरुप में बड़े बदलाव आयें है। सदियों तक जो पर्यटन स्थल दुनियाभर में मशहूर थे, जिन्हे सिर्फ देखना लाखो-करोडो की दिली ख्वाइश होती थी….अब वहाँ जाने वाले नयी पीढ़ी के बहुत से लोग उन्हें बोरिंग बताते है, वहाँ घूम कर आने के बाद वो सवाल करते है कि आखिर क्या ख़ास है इन जगहों में? इतना हव्वा किस बात का बनाया जाता है इनपर? कारण जानने से पहले इस बात पर ध्यान दें कि हम लोग ट्रांज़िशन दौर का हिस्सा रहे जिसमे तकनीक बड़ी तेज़ी से बदली, और हमे समाज के दोनों छोर देखने-जीने को मिले। अब आप कहेंगे की बदलाव तो हर पीढ़ी देखती है, तो इस दौर से जुडी पीढ़ियों पर यह टिप्पणी क्यों? सोचिये आप सन 1828 में जी रहे है और एकदम से आपको 1850 में भेजा जाए तो आपको बदली बातें, चीज़ें समझने में अधिक कठिनाई नहीं आयेगी पर यह कठिनाई 1970 से सीधे 1990 जाने पर बढ़ेगी और 1992 से अगर कोई 2015 में आयेगा उसको आजकल की दिनचर्या में कई बदलाव दिखेंगे जिनकी उसे आदत नहीं होगी।
इस बदलाव के बाद हम जैसे मनोरंजन और जानकारी के अनेको मल्टीमीडिया साधनो से घिर गये। ग्राफिक्स, एनीमेशन, विडीयोज़ में दुनिया का क्या से क्या खंगाल डाला, जिस वजह से किसी चीज़ का क्रेज़ क्या होता है यह लगभग भूल गए। अनुभवों के लिए सिर्फ डिजिटल साधनो पर निर्भर हो चुके है और इनके इतर दुनिया जो भी है उस से कटने लगे। शायद जो लोग ऐतिहासिक इमारतों, जगहों को बोरिंग बता रहे थे वो उस जगह को देखने, उसकी कहानी जानने के अलावा यह भी अपेक्षा रख रहे थे कि वो ईमारत ब्रेक डांस करेगी, टूट कर फिर अपने आप बन जायेगी, या टूरिस्ट गाइड की जगह खुद अपना इतिहास बताएगी।
अब बच्चे-युवा और बड़े भी जो शहरी जीवन के आदि हो चुके है उन्हें 2 दिन गाँव में बिताने भारी पड़ जाते है और बातों से ज़्यादा हम मोबाइल टेक्स्ट्स, मैसेजेस से वार्तालाप करते है। इस लेख से मैं आपको वर्तमान तौर-तरीके छोड़ कर वापस इतिहास में जाने की सलाह नहीं दे रहा, बस एक संतुलन बनाने की बात बता रहा हूँ। कुछ समय स्वयं को, अपनों को और प्रकृति को दें – डिजिटल प्रारूपों में औरों से अनुभव लेने के साथ-साथ ज़िन्दगी में खुद अपने अनुभव बटोरें। एक जीवनशैली की अधिकता से स्वयं को एक मशीन में ना बदलने दें। बैलेंस बनाना मुश्किल ज़रूर है पर ज़माना कितना भी आगे बढ़ जाये कई मूलभूत बातें जस की तस रहती है, बस उन्ही के सिरे पकड़ते हुए शुरुआत करें।
– मोहित शर्मा (ज़हन)
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April 2, 2015 at 12:11 am (421 Brand Beedi Federation, Analysis, art, Article, Culture, Event, Freelance Talents, History, India, message, Mohit Sharma Author, Mohit Sharma Trendster, Mohit Trendy Baba, Mohitness, Poet Mohit Sharma)
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अपने सपनो के लिए जगदोजहद, मेहनत करते लोगो को देखना प्रेरणादायक होता है। एक ऐसा आकर्षण जिसकी वजह से हम फिल्मो, टीवी सीरियल्स से बंधे रहते है, उनके किरदारों में अपने जीवन को देखते है, ऐसा आकर्षण जिसके कारण कठिन समय में हम खुद को दिलासा देते है कि यह सब झेलने के बाद, यह वक़्त गुजरने के बाद हमे अपना सपना मिल जायेगा या उस से दूरी और कम हो जायेगी। कुछ ख्वाबो का महत्व इतना होता है कि उनके पूरे या ना पूरे होने पर जीवन की दिशा बदल जाती है, जबकि कुछ सपने बस किसी तरह अपनी जगह आपके ज़हन में बना लेते है – बाहर से देखने पर यह सपने बचकाने लगते है पर फिर भी अक्सर यह आपको परेशान करते है।
व्यक्ति की आयु, परिस्थिति अनुसार सपने बदलते है, नए सपने इतने बड़े हो जाते है जो किसी उम्र के अधूरे-पुराने सपनो के आड़े आकर धुँधला कर देते है। मैंने कहीं सुना था कि सपनो को साकार करने का कोई समय नहीं होता जब साधन, भाग्य साथ हों तब उन्हें पूरा कर उनका आनंद लीजिए। पर जीवन तमाम चुनौतियाँ, उबड़-खाबड़ रास्ते लेकर आता है जिसके चलते निरंतर कुछ न कुछ सोचता दिमाग उन बिन्दुओं से काफी आगे बढ़ चुका होता है।
अपना ही उदाहरण देता हूँ। मुझे बचपन से ही प्लेन में बैठने बड़ी इच्छा थी पर समस्या यह थी कि उस समय लगभग सभी करीबी रिश्तेदार दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के सीमावर्ती शहरों में रहते थे जहाँ 100 से 600 किलोमीटर्स के दायरे में होने के कारण अगर कोई आपात्कालीन स्थिति ना हो तो वैसे शादी आदि समाहरोह में पहुँचने के लिए साधनो में एरोप्लेन से पहले वरीयता ट्रैन, बसों को मिलती है। ऊपर से मध्यमवर्गीय परिवार तो 90 के दशक में टीवी पर ही प्लेन देखकर खुश हो लेता था। (अब घरेलु यात्रा हवाई टिकटों के दामो में काफी कमी आयी है खासकर पहले बुक करने पर, कभी-कभी तो बहुत लम्बी दूरी की हवाई यात्रा ट्रैन यात्रा से सस्ती पड़ती है) तो स्थिति यह रही कि बचपन से किशोरावस्था आई, जिसमे हवाई यात्रा की प्रबल इच्छा बनी रही पर कभी ऐसा मौका नहीं बना। वर्तमान में जहाँ सक्रीय हूँ यानी मेरठ, दिल्ली इनकी दूरी 70-75 किलोमीटर्स है और अब तक प्लेन में नहीं “घूमा”।
पर अब वो सपना मर गया है, इच्छा कहीं गुम हो गयी जैसे उसकी एक्सपायरी डेट निकल गयी हो। किसी समय एक बच्चे की जो सबसे बड़ी विश होती थी जिसके लिए वो भगवान जी से प्रार्थना करता था, आज उसके पूरे होने ना होने से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। उल्टा चिढ होती है, बेवजह गुस्सा आता है इस ख्वाईश के कभी याद आने पर। अब अगर कभी हवाईजहाज़ में बैठने का अवसर मिलेगा तो मन किसी प्रौढ़ उधेड़बुन में लगा होगा, रूखी आँखों में उस बच्चे या किशोर की चंचलता नहीं होगी जो अक्सर सपनो में प्लेन में बैठकर दुनियाभर की सैर कर आता था।
कुछ सपनो का पूरा होना आपके हाथ में होता है और कुछ का भाग्य पर निर्भर। अपने बस में जो बातें हो उन्हें प्रगाढ़ता से पूरा करें ताकि इच्छाएँ मरने या बदलने से पहले….सपनो की एक्सपायरी डेट से पहले वो पूरे हो जायें। 🙂
– मोहित शर्मा (ज़हन)
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April 1, 2015 at 12:13 am (421 Brand Beedi Federation, art, Freelance Talents, Mohit Sharma Author, Mohit Sharma Trendster, Mohit Trendy Baba, Mohitness, Poet Mohit Sharma, Social, Trendster, Trendy Baba)
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वैसे तो भीड़ हर पेशे में है और बढ़ रही है पर कुछ पेशों में भीड़ के दुष्परिणाम बड़े व चिंताजनक होते है। ऐसा ही एक वर्ग है वकीलों का जो सीमित न्यायालयों में हर वर्ष तेज़ी से बढ़ते जा रहे है। इस बात में कोई दोराय नहीं कि हर जगह की तरह यहाँ अच्छे-बुरे दोनों तरह के लोग होते है। पब्लिक इंटरैक्शन यहाँ काफी होता है आम व्यवसायों के मुकाबले और किन्ही वजहों से उपद्रवी तत्वो की संख्या भी बाकी जगहों से ज़्यादा होती है। तो इस व्यावसायिक समुदाय में लोग आपस में प्रतियोगी तो होते है पर क्लाइंट्स के लिए इन्हे अपना एक बड़ा समूह बनाना पड़ता है। अब दिक्कत यह होती है कि लोगो कि मदद करने वाले कुछ अच्छे समूह होते है पर कई असामाजिक तत्व भी एक जैसी प्रवृति के कारण साथ आ जाते है। फिर अदालतों के साथ-साथ ऐसे तत्व स्थानीय शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी दफ्तरों में सक्रीय होकर दबदबा बनाते हुए मनमानी करते है जो इनकी कमाई का प्रमुख साधन भी बनते है। बड़ी विडंबना है की जिन्हे कानून की धाराओं का सबसे अधिक ज्ञान है वो ही अपने तरीकों से उन्हें तोड़ने में लगे रहते है। न्यायालयों में इनमे से कई वकील बूढ़े, अनपढ़ लोगो को जो किन्ही केसेज में फ़से होते है उन्हें बेवजह दौड़ाते रहते है।
फिर आते है कभी जाने-अनजाने इनसे`उलझने वाले अफसर, दुकानदार, ट्रांसपोर्ट चालक, पुलिस, आम जनता की हालत पर। लड़ाई किसी की होगी पर झुण्ड 32 का तुरंत बन जायेगा और बिना स्थिति जाने सब यह मान कर बैठते है कि अगर दो पक्षों का विवाद है और उनमे से एक वकील है तो वही सही होगा। ऐसी स्थितयों में अक्सर दूसरे पक्ष के लोगो की जमकर पिटाई होती है और कभी-कबार घायलों की मृत्यु होती है। अब अगर मार खाने वाला पक्ष वकील/वकीलों का है (जो काफी कम होता है) तब आप अगले दिन आप सुर्खियां पढ़ेंगे कि “फलाना शहर के अधिवक्ताओं की अनिश्चितकालीन हड़ताल।” मतलब अगर आपका इनसे विवाद है और आप सही है तो आप कि ऐसी की तैसी निश्चित। भगवान ना करें कि बात अधिक बढे नहीं तो आप पर कुछ भारी मुक़दमे दर्ज हो जायेंगे जिनको निपटाने में आपका काफी समय एवम धन व्यर्थ होगा। गज़ब की बात है कि स्थानीय मीडिया सदैव इनके पक्ष में रहता है, शायद काम पड़ता रहता होगा इसलिए दोस्ती निभायी जाती है। तो कोशिश करिये कि किसी मामले में पड़ने पर अच्छी जाँच के बाद अपना वकील चुने। यह भी ध्यान रखें की कहीं भी इनसे डील, इंटरैक्शन करते समय धैर्य, सावधानी से काम लें। सार्वजानिक स्थल पर किसी भी वजह से हुए विवाद को बातों से निपटाने की कोशिश करें। सरकारों के रवैये और कानून में भी कुछ बड़े बदलावों की आवश्यकता है ताकि नासमझी, मनमानी और गुंडागर्दी में कमी आये। लखनऊ, मेरठ, भोपाल और दिल्ली में अपने अनुभव के आधार पर यह लेख।
– मोहित शर्मा (ज़हन) #mohitness #mohit_trendster
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March 31, 2015 at 10:28 pm (421 Brand Beedi Federation, art, Article, Event, Freelance Talents, India, kavya comics, message, Mohit Sharma Author, Mohit Sharma Trendster, Mohit Trendy Baba, Mohitness, Poet Mohit Sharma)
Tags: 421 Brand Beedi Federation, article, freelance talents, India, kavya comics, Mohit, Mohit Sharma, mohit trendy baba, Mohit-Trendster, Mohit/Trendster, Mohitness, Published, Stories, Trendy Baba Mafia, updates
*) – Second paper in English and Hindi on Inland Waterways of India submitted to a publisher.
*) – Published Laghu Kathayen and special articles on various issues (Prabhat Dainik, Shah Times and First News), you can read some of those –
Online Archives,
OA Apr and
Trendy Baba Mafia Blog.
*) – Couple of event appearances.
*) – Conducted creative workshops for Arya Foundation, Meerut members.
*) – Freelance Talents and ICF online brainstorming hangouts.
*) – Page from new Kavya Comic….
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March 25, 2015 at 12:22 pm (421 Brand Beedi Federation, Analysis, Event, Freelance Talents, India, Mohit Sharma Author, Mohit Sharma Trendster, Mohit Trendy Baba, Mohitness)
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Expressed my views in a seminar on various Gender issues this year in an event organized jointly by regional NGOs. – Mohit Trendster #mohitness
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