अमीर की हाय (कहानी)
February 4, 2017 at 6:37 pm (Mohitness, Social, story, Uncategorized)
Tags: Fiction, Hindi, life, Mohit/Trendster
– मोहित शर्मा ज़हन
लेख: सेलेब्रिटी पी.आर. का घपला (मोहित शर्मा ज़हन)
November 7, 2016 at 10:04 am (Article, life, message, Mohit Sharma Author, Mohitness, rant, Social, Uncategorized)
Tags: Hindi, India, Info, Mohit-Trendster, observation
पैसा और सफलता अक्सर अपने साथ कुछ बुरी आदते लाते हैं। कुछ लोग इनसे पार पाकर अपने क्षेत्र में और समाज में ज़बरदस्त योगदान देते हैं वहीं कई शुरुआती सफलता के बाद भटक जाते हैं। एक बड़े स्तर पर आने के बाद प्रतिष्ठित व्यक्ति पर इमेज, ब्रांड मैनेजमेंट की ज़िम्मेदारी आ जाती है लोगो पर, अब या तो आप मेहनत और साफ़-सुथरे तरीके से ये काम करे या फिर अपनी मन-मर्ज़ी का जीवन जीते हुए बाद मे अपने कृत्यों को सही ठहराने की कोशिश करें। इन्ही में कुछ विख्यात लोग लोकप्रियता बढ़ाने के लिए अपने पीआर एजेंट या नेटवर्क का सहारा लेते हैं। जैसे अगर कोई सेलिब्रिटी कोई गलत बात, काम करता पकड़ा जाए या उसकी वजह से जनता, समाज को कोई नुक्सान हो तो अपनी टीम की मदद से वो ये बातें प्रचारित करने की कोशिश करेगा कि उसका ये मतलब नहीं था वो तो इस काम से समाज की मानसिकता दिखाना चाहता/चाहती थी या उसे सेलिब्रिटी होने की सज़ा मिल रही है। ये सही है….सेलिब्रिटी होने के मज़े तक सब ठीक पर उस लाइफ में एडजस्ट करने वाले हिस्सो में शिकायत करो।
उदाहरण के लिए किसी सेलिब्रिटी ने एक मुद्दे पर बिना जानकारी के कोई बेवकूफी भरी बात कही अब उसका सोशल मीडिया आदि जगह मज़ाक उड़ा। तो उसकी बेवकूफी गयी एक तरफ और उसने निकाल लिया अपने अल्पसंख्यक, महिला या किसी अन्य मजबूरी का कार्ड, फिर क्या मीडिया, जनता का ध्यान कहीं और गया। यानी अगर उस बात की तारीफ़ होती तब कोई दिक्कत नहीं थी, जहाँ एक वर्ग ने मज़ाक उडा दिया तो घुमा-फिरा कर बात अपने ऊपर मत आने दो।
साथ ही ये लोग समय, स्थिति के अनुसार नए-नए स्टंट सोचते हैं। जैसे अपने बीते जीवन में किसी दुखद काल्पनिक घटना को जोड़ देना या किसी बीमारी (खासकर मानसिक) से जूझकर उस से जीतना दिखाना। क्या यार….आपके एक जीवन में घटनाओ का घनत्व कुछ अधिक नहीं हो गया? मैं यह नहीं कह रहा कि सब बड़े लोग ऐसा दिखावा करते है पर ऐसा करने वाले लोगो का अनुपात बहुत ज़्यादा है। आम जन – ख़ास लोग सबका जीवन चुनौतियों, संघर्षो वाला होता है पर ज़बरदस्ती के पीआर स्टंट कर के कम से कम खुद से झूठ मत बोलिये। इस नौटंकी के बिना भी आप लोकप्रिय और महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर जनता का ध्यान ला सकते हैं (बशर्ते आप वैसा करना चाहें ना की केवल अपनी पब्लिसिटी के चक्कर में पड़े रहे)। हालांकि, पैसे के पीछे भागते मीडिया को नैतिक-अनैतिक से कोई मतलब नहीं होता। हर दिन कुछ नया वायरल करने की होड़ में मीडिया के लिए कुछ नैतिकता की सोचना पाप है। वैसे व्यक्ति के बारे में थोड़ी रिसर्च और पहले का रिकॉर्ड देख कर आप जान सकते हैं कि कौन सही दावा कर रहा है और कौन पीआर के रथ पर सवार है।
जो पाठक सोच रहे है कि क्या फर्क पड़ता है? बेकार में मुद्दा बनाया जा रहा है! अगर ऐसा करने से किसी को नुक्सान नहीं पहुँच रहा तो क्या गलत है? उन मित्रो से मेरा यह कहना है कि कभी-कभी किसी वर्ग को लंबे समय से छद्म रूप से हो रहा नुक्सान सीधे नुक्सान से बड़ा होता है। जिन लोगो को वाकई मीडिया, जनता के ध्यान-पैसे की आवश्यकता है वो बेचारे तरसते रह जाते हैं और उनका हिस्सा, उनकी फुटेज गलत संस्थाएं, लोग खा लेते हैं। मुश्किल है पर सबसे निवेदन है कि अपरंपरागत न्यूज़ सोर्सेज पर ध्यान दें, सही लोगो-संस्थाओ को आगे बढ़ने मे हर संभव मदद करें। छोटे बदलाव से धीरे-धीरे ही सही पर बड़ा असर पड़ेगा।
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Posted by Mohit Sharma at 1:40 AM
Kaddu le lo (Secular Audio Story)#mohitness
September 4, 2016 at 7:31 pm (comparison, Culture, drama, Hindi, Mohit Sharma Trendster, Social, story, Uncategorized)
Tags: freelance talents, Message, Mohit-Trendster, Mohitness
Kaddu le lo (Secular Audio Story), कद्दू ले लो (धर्मनिरपेक्ष कहानी) Social Message
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Duration – 5 Minutes 28 Seconds
#message #social #mohitness #mohit_trendster #freelancetalents #freelance_talents #religion #fiction #debate #dark #humor #satire #ज़हन #ज़हनजोरी
परिवार बहुजन (कहानी)
July 16, 2016 at 4:19 pm (Fiction, Mohitness, Social, story, Uncategorized)
Tags: Hindi, India, Mohit-Trendster, Society, Story
एक छोटे कस्बे की आबाद कॉलोनी में औरतों की मंडली बातों में मग्न थी। “बताओ आंगनबाड़ी की दीदी जी, बच्चों के स्कूल की टीचर लोग हम बाइस-पच्चीस साल वाली औरतों को समझाती फिरती हैं कि आज के समय में एक-दो बच्चे बहुत हैं और यहाँ 48 साल की मुनिया काकी पेट फुलाए घूम रहीं हैं। घोर कलियुग है!”
“मैं तो सुने रही के 45 तक जन सकत हैं औरत लोग?”
“नहीं कुछ औरतों में रजोनिवृत्ति जल्दी हो जाती है और कुछ में 4-5 साल लग जाते हैं। फिर भी, क्या ज़रुरत थी काका-काकी को इस उम्र में यह सब सोचने की?”
यह बात सुनकर पास से गुज़रती उस दम्पति की पडोसी बोली।
“अरे! उन कुछ बेचारों की तरफ से भी सोच कर देखो। आज इस कॉलोनी में कितने बूढ़े जोड़ों के साथ उनके बच्चे रहते हैं? इनके भी दोनों बच्चे बाहर हैं जो तीज-त्योहारों पर खानापूर्ति को आते हैं। अब इनकी बाकी उम्र होने वाले शिशु को पाल-पोस कर काबिल बनाने में कट ही जायेगी। घर में पैसे की तंगी नहीं है तो इनमे से किसी एक को या दोनों को कुछ होता भी है तो बच्चे का काम चल जाएगा।”
बात फैली और आस-पास के इलाके के आर्थिक रूप से ठीक दम्पति प्राकृतिक या टेस्ट ट्यूब विधि से उम्र के इस पड़ाव में संतान करने लगे। पैसों और संपत्ति के लालच में कई बच्चे माँ-बाप का अधिक ध्यान रखने लगे कि कहीं उनके अभिभावक दुनिया में उनके छोटे भाई-बहन न ले आएं।
समाप्त!
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– मोहित शर्मा ज़हन
अच्छा घोटाला (कहानी) #मोहितपन
July 13, 2016 at 9:25 pm (Hindi, life, message, Mohit Sharma Trendster, Mohit Trendy Baba, observation, Social, story, Uncategorized)
Tags: Fiction, freelance talents, Mohit-Trendster, Mohitness, nature, Society
प्रोजीट के राष्ट्र प्रमुख फिलांद्रे के सुरक्षा सलाहकार रॉनी अपने सुरक्षाकर्मियों से तेज़ दौड़ते हुए राष्ट्र प्रमुख के पास पहुंचे, जो पहले ही इमरजेंसी मीटिंग में थे।
रॉनी – “चीफ! हमें उन जंगलों में बचावकर्मी भेजने होंगे।”
फिलांद्रे – “तुम जानते हो रॉनी इस तूफ़ान से हुई न्यूक्लियर संयंत्र दुर्घटना के बाद उस जंगल का 60-70 किलोमीटर का क्षेत्र विकिरण के प्रभाव में आ गया है। वहाँ 7-8 कबीलों को बचाने में करोडो डॉलर्स का खर्च होगा, इस से बेहतर तो यह होगा कि हमें उस क्षेत्र को सील कर क्वारंटाइन घोषित कर दें।”
रॉनी – “…लेकिन चीफ मुझे यह खबर मिली है कि न्यूक्लियर एक्सीडेंट के समय आपके छोटे भाई और बहन जंगल सफारी पर थे। वहाँ पोस्टेड लोगो ने बताया कि तूफ़ान के बाद उनका दल भटक गया, दल द्वारा मदद के लिए एक मैसेज भेजा गया था पर वो लोग लोकेट नहीं हो सके…हो सकता है वो दोनों और उनकी टीम अब किसी कबीले के साथ भटक रही हो। ये कबीले संयंत्र से दूर जंगल के अन्य छोर के पास हैं तो अभी भी उम्मीद है कि उन तक जानलेवा विकिरण का प्रभाव कम हुआ हो।”
करोडो की ऐसी-तैसी कर फिलांद्रे ने पूरी फ़ौज लगा दी और एक-एक कर सारे कबीले बचा लिए, कबीलों के लोगों पर विकिरण का गंभीर असर नहीं हुआ था। फिलांद्रे चिंतित था कि किसी कबीले के पास उसके भाई, बहन की खबर नहीं थी। बचाव अभियान का नेतृत्व कर रहे रॉनी का भी आखरी कबीले के बचाव के बाद से कोई अता-पता नहीं था। फिर फिलांद्रे को रॉनी का एक पत्र मिला जिसमे उसके भाई-बहन की टीम का पता था। रॉनी ने उन्हें टीम सहित किडनैप करवाया था ताकि उनकी आड़ में वो सभी कबीलों को बचा सके। देश का सुरक्षा सलाहकार होने के कारण उसके काम और राष्ट्र प्रमुख को दी गयी जानकारी पर किसी ने शक नहीं जताया। अब रॉनी किसी अंजान देश फरार हो चुका था।
मुस्कुराते हुए फिलांद्रे ने सभी कबीलों के इलाज और अन्य जंगली क्षेत्र में उनके पुनर्वास का आदेश दिया।
समाप्त!
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मोहित शर्मा ज़हन
राष्ट्र-प्रकृति (कहानी) #mohit_trendster
July 13, 2016 at 3:43 pm (bonsai kathayen, Freelance Talents, Hindi, Mohit Sharma Author, Social, story, Uncategorized)
Tags: laghu katha, Message, Mohitness, Stories
दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक सीन की राजधानी चीबिंग में 5 दिवसीय विश्व सम्मलेन होने वाला था जिसमे लाखों की संख्या में लोग आने की सम्भावना थी। लगभग उसी समय चीबिंग और आस-पास के क्षेत्रों में लगातार कुछ दिन भारी बारिश होने के आसार बन रहे थे। सीन के तानाशाह राष्ट्रपति ने वैज्ञानिकों से एक मौसमी प्रयोग करने को कहा जिस से इन 5 दिनों के सम्मलेन में मौसम का कोई व्यवधान ना पड़े। बड़े कार्गो हवाई जहाज़ों की मदद से लगातार हवा की ऊपरी परतों में रसायन छोड़े गए और तरह-तरह के वैज्ञानिक चोचले हुए। आखिरकार दबाव का क्षेत्र बदला और बादल-बरखा चीबिंग से छितर गए।
सम्मेलन अच्छी तरह निपटा और अहम मौके पर मौसम को मात देने की ख़ुशी में राष्ट्रपति छुट्टी मनाने देश के तटीय छोर पर आ गए। दबाव के क्षेत्र में बदलाव से देश का वातावरण उलट-पुलट हो गया। विश्व सम्मलेन में मौसम से की गयी छेड़छाड के कारण अचानक एक ऐसा तूफ़ान तेज़ी से सीन के तटीय क्षेत्रों की तरफ खिंचा चला आया जो सामान्य स्थिति में समुद्र तक सीमित रहता। ग्लाइडर पर प्रकृति का आनंद ले रहे राष्ट्रपति का प्रकृति ने आनंद ले लिया और उन्हें एक क्षतिग्रस्त न्यूक्लियर संयंत्र के कोर में ला पटका। सीन में भारी जान-माल का नुक्सान हुआ और बचाव कर्मियों ने विकिरण स्नान किये राष्ट्रपति को कोमा की हालत में पाया।
समाप्त!
– मोहित शर्मा ज़हन
लोड शैडिंग (कहानी) – मोहित शर्मा ज़हन
July 6, 2016 at 10:38 pm (bonsai kathayen, Fiction, Mohit Sharma Author, Mohitness, Social, story, Uncategorized)
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यमराज के सामने एक छोटे द्वीप समूह देश का बड़ा अर्थशास्त्री (इकोनॉमिस्ट) बंदी बना खड़ा था। उसपर (उस व्यक्ति के भूत पर) 700 लोगो को डराकर मारने का आरोप था, जो उसने तुरंत मान भी लिया था। उसने बताया कि मरने के बाद उसकी अतृप्त आत्मा देश की अर्थव्यवस्था की बिगड़ी हालत से परेशान थी। दुनिया से जाते-जाते उसने सोचा कि देश के लिए कुछ कर के जाना चाहिए। तब उसने कई परम्यूटेशन-कॉम्बिनेशन पर विचार किया और एक तरीका सोचा जो उसके हिसाब से देश की अर्थव्यवस्था से भार कम कर सकता था।
मॉर्निंग या इवनिंग वॉक को जाने वाले बुज़ुर्ग लोगो को वह अपना मुँह बिगाड़कर और मुंडी, खून की कटोरी जैसे प्रॉप्स के साथ डरावना धप्पा करता था। यह भूतहा धप्पा इतना डरावना होता था कि ज़्यादातर बुड्ढे-बुड्ढीयां हार्ट अटैक से मर जाते। 2 दिन के अंदर उसने देश के 700 वरिष्ठ नागरिकों को चलता किया। यह असामान्य गतिविधि ऊपर देवलोक में देखी गई और उसे तुरंत बंदी बना लिया गया।
यमदूत ने अर्थशास्त्री को समझाया – “आइडिया कागज़ पर अच्छा है पर जीवनचक्र में कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। इन 700 लोगो में 246 लोगो ने देर से शादी की थी जिस कारण इनमे से कई की कई ज़िम्मेदारियाँ अभी पूरी नहीं हुई थी। इनमे कई लोग सेवानिवृत होने के बाद भी देश के लिए लाभ वाले काम कर रहे थे। तो इतना आसान नहीं है कि बुड्ढे उड़ा दो और देश का भार कम। बूढ़ा व्यक्ति समाज का बोझ नहीं ज़रूरत है। अब तुम्हारी सज़ा यह है कि इन 700 बुड्ढे-बुड्ढीयों की लिखा-पढ़ी तुम ही करोगे। नासपिटे! किसने दी तुम्हे डॉक्टरेट की उपाधि? जूत ही जूत बजा दें उसके!”
समाप्त!
Google Translate Community Development
July 3, 2016 at 9:20 am (archives, India, Mohit Sharma Trendster, Mohitness, quotes, Social, Uncategorized, update)
Tags: community, India, Mohit-Trendster, Mohitness, quotes, translation, updates
Google Translate Community Development. (100 Words/Sentences) 🙂
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“डगमगाहट के लिए खेद है!” (कहानी) #mohit_trendster
June 29, 2016 at 11:54 pm (Freelance Talents, Hindi, life, Mohit Sharma Trendster, Mohitness, Social, story, Uncategorized)
Tags: Fiction, freelance talents, Hindi, life, Mohit-Trendster, Mohitness, Sad
वैसे तो जय अकेले काम करने में विश्वास करता था पर चाय की गुमटी से पर उसे एक नया बंदा मिला था साथ काम करने के लिए। शैंकी नामक उस किशोर में जय को अपना 5-7 साल पहले वाला रूप दिखता था जब उसने चोरी-चकारी शुरू की थी। इन वर्षो में अपनी लगन और जीतोड़-शरीर फोड़ मेहनत के चलते उसने काफी जल्दी ठगी के कई पैंतरे सीख लिए थे। अब वो कुछ बड़ा करना चाहता था ताकि जीवन में लंबे समय के लिए आर्थिक स्थिरता आ जाए। शैंकी के रूप में उसे एक लगनशील, गुणवान छात्र मिला था जो उसकी ही तत्परता से सब कुछ सीख रहा था। कुछ महीनों के लिटमस प्रयोगों के बाद आखिरकार बड़े जोखिम की घड़ी आयी। कस्बे के सबसे धनी सुनार-लाला रूपचंद के घर डकैती डालने का जय का बचपन का सपना आज पूरा होने जा रहा था। करोड़ों की बाज़ी थी और शैंकी के साथ जय ने हफ्तों इसकी ड्रिल की थी। संयुक्त परिवार वाले लाला रूपचंद के घर में आज एक गार्ड के अलावा 2 ही लोग थे, लाला और उनकी लाली।
अंधेरे का फायदा उठाकर शैंकी ने गार्ड को क्लोरोफॉर्म सुंघा कर बेहोश किया और कुछ ही सेकंड के अंदर सोते लाली-लाली को भी डिफ्यूज कर दिया। जय हक्का-बक्का रह गया।
जय – “तुझे तो लगता है ज़्यादा सीखा दिया यार…आज मुझे आना ही नहीं चाहिए था। अकेला तू ही बहुत था!”
शैंकी – “अरे नहीं भईया! आपसे ही सब सीखा है। आपको इम्प्रेस करने के लिए सब जल्दी निपटा दिया।”
फिर शैंकी और जय घर से पैसे और गहने बटोरने लगे। जय को बड़ा अजीब लग रहा था, सब इतनी आसानी से हो रहा है, कोई अड़चन-हड़बड़ी नहीं। तब उसका ध्यान लाला-लाली पर गया जो सांस नहीं ले रहे थे। उसकी हल्की चीख निकली – “अरे मर गए क्या ये दोनों?” शैंकी ने दोनों की नब्ज़ देखी, दोनों मर चुके थे। जय ने गार्ड को देखा तो उसकी आँखें भी उलट गई थीं। जय गुस्से में बोला – “पागल! इतनी जल्दी क्या थी कि मार ही दिया इन्हे? इतनी बार प्रैक्टिस कराई थी तुझे! डकैती में तो एक बार बच भी जाएं पर ट्रिपल मर्डर में तो पूरे जिले की पुलिस पीछे पड़ जाएगी। साले! डोज़ चेक नहीं की थी क्या रूमालों में लगाते समय?” जय सिर पकड़ कर बैठ गया।
सहमा हुआ शैंकी बोला – “लगता है बस एक ही रुमाल में सही डोज़ थी।”
जय – “अब क्या फायदा उल्लू के पट्ठे…तीनो मर गए”
शैंकी ने झटके से जय को रुमाल सुंघाया।
शैंकी – “फायदा है भैया! उन 3 रूमालों में मौत वाली डोज़ थी और आपके वाले चौथे रुमाल में सिर्फ बेहोशी वाली डोज़ है।”
जय की बोझिल होती आँखों के सामने शैंकी उसके पैर छूकर सारा माल लेके चंपत हो गया। कुछ देर बाद लाला के परिवार के कुछ सदस्य घर पर आए और उन्होंने पुलिस के आने तक गुस्से में जय को मार-मार कर, मार-मार कर…मार ही डाला।
समाप्त!
मोहित शर्मा ज़हन
Artwork – Jorgina Sweeney (Jorgi girl)
शोबाज़ी (कहानी) – मोहित शर्मा ज़हन
June 27, 2016 at 10:02 pm (Fiction, Hindi, India, laghu katha, life, message, Mohit Sharma Author, Social, Trendster, Uncategorized)
Tags: Bonsai Kathayen, freelance talents, Hindi, India, Message, mohit trendy baba, Mohit-Trendster, Story
छात्रों के पास से गुज़रती प्रोफेसर के कानो में कुलदीप की एक बात पड़ी।
“हमारे पूर्वजो ने तुम्हे बचाया। तुम लोगो के घर-बार और तुम्हारी बहु-बेटियों की इज़्ज़त लुटने से बचाने वाले हम लोग ही थे। अगर हम न होते तो क्या होता तुम्हारे समुदाय का?”
प्रोफेसर के कदम थम गए, ऐसा वाक्य उन्होंने पहली बार नहीं सुना था। वो उन लड़को के समूह के पास गईं और बोलीं।
“तो क्या अपने पूर्वजो के कामो की अलग से रॉयल्टी चाहिए?”
प्रोफेसर को उग्र देख कुलदीप सहम कर बोला – “ऐसी बात नहीं है मैम…मैं तो बस…”
प्रोफेसर – “देखो कुलदीप, जिन समुदाय-लोगो की तुम बात कर रहे हो उनकी संख्या करोड़ो में थी और इतिहास देखोगे तो हर धर्म के लोगो ने अनेको बार एक दूसरे पर एहसान और अत्याचार किए हैं। यह संभव है जिन पूर्वजो की तुम बात कर रहे हो उनके पूर्वजो या उनसे भी पहले उस मज़हब के लिए किसी और समुदाय ने कुछ अच्छे काम किए हों जिनसे उनके जीवन मे सकारात्मक बदलाव आए हों। इतिहास जानना ज़रूरी है पर पुरखों से शान उधार लेकर अपने नाम पर लगाना गलत है। खुद समाज के लिए कुछ करो फिर यह शोबाज़ी जायज़ लगेगी…हाँ, माता-पिता या दादा आदि की संपत्ति, गुडविल, रॉयल्टी अलग बात है पर 1492 में कुलदीप से ऊपर 32वी पीढ़ी ने क्या तीर मारे वो किताबो तक ही रहने दो, उनका क्रेडिट तुम मत लो…क्योंकि ऐसे हिसाब करोगे तो फिर कभी हिसाब होगा ही नहीं।”
समाप्त!
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