Anik Planet December 2016 #update
December 26, 2016 at 5:55 pm (art, cover, horror, India, magazine, Mohit Trendy Baba, Uncategorized)
Tags: Fiction, Mohit/Trendster, Mohitness, Published
दुश्मन मेहमान (कहानी) – मोहित शर्मा ज़हन
December 17, 2016 at 3:12 pm (Fiction, Mohit Trendy Baba, Mohitness, story, Uncategorized, update, writing)
Tags: freelance talents, Hindi, Mohit, Mohit/Trendster, Story, suspense, thrill
वर्ष 1978
ब्रिटिश साम्राज्य से आज़ादी मिलने के बाद बने क्रोनेशिया और सर्बा पडोसी मुल्कों के बीच रिश्ते हमेशा तल्ख़ रहे। दशकों तक शीत युद्ध की स्थिति में दोनों देशो का एक बार भीषण युद्ध हो चुका था। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद युद्ध समाप्त हुआ। युद्ध में कुछ टापू और समुद्री सीमा कब्ज़ाने वाले सर्बा को जीत मिली थी पर दोनों तरफ भारी नुक्सान हुआ था। युद्ध के बाद स्थिति काफी बदल गयी थी। अब क्रोनेशिया एक अच्छे-खासे रक्षा बजट के साथ आर्थिक रूप से सशक्त राष्ट्र था।
रिक स्मिथ नामक न्यूक्लियर साइंटिस्ट का नाम अक्सर किस्से-कहानियों में आता था। लोग कहते थे कि वह कोई किवदंती, क्रोनेशिया का काल्पनिक सिंबल है पर सर्बा की ख़ुफ़िया एजेंसी जानती थी कि रिक जो कई नाम और पहचानो से जाना जाता था सिर्फ वैज्ञानिक ना होकर एक काबिल सीक्रेट एजेंट भी था। उसने सर्बा के कुछ महत्वपूर्ण मिशन, व्यापारिक डील्स को नाकाम किया था और वह सर्बा व अन्य देशो की सहायक ख़ुफ़िया एजेंसियों के कई एजेंट्स की हत्या कर चुका था। सर्बा के दर्जनों जासूस सिर्फ उसको पकड़ने या मारने के लिए वर्षो से प्रयासरत थे।
सर्बा के टॉप एजेंट चीमा को रिक के नेपाल में देखे जाने की सूचना मिलती है। चीमा तुरंत अपने दल के साथ नेपाल रवाना होता है। तटस्थदेश में छद्म पहचानो के साथ गुप्त रूप से ही काम किया जा सकता था इसलिए चीमा की गतिविधियां सीमित और लक्ष्य पर केंद्रित थी। रिक के वहाँ होने का कारण ढूंढ रहा चीमा नेपाल की सीमाओं पर अपने सहायक नियुक्त करता है। क्या रिक ने किसी डील के लिए नेपाल आने का जोखिम लिया था या फिर वह कोई डील तोड़ने आया था? नेपाल में सर्बा दूतावास हर उपलब्ध जानकारी चीमा को दे रहा था। इन दस्तावेजों को देखते हुए चीमा का ध्यान एक कागज़ पर गया जहाँ कुछ सर्बाई लोगो के नाम थे। यह दल नेपाल की तरफ से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाला था। दल के सदस्यों में देश के कुछ प्रमुख वैज्ञानिक थे। चीमा ने स्थानीय शेरपा से एवरेस्ट के बारे में जानकारी ली। शेरपा ने बताया की कई बार एवरेस्ट पर चढ़ते हुए लोग फिसल कर ऊंचाई से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं, अचानक हिमस्खलन में दब जाते हैं या शून्य से दर्जनों डिग्री नीचे तापमान को झेलते हुए 8000 मीटर से ऊपर “डेथ ज़ोन” में ऑक्सीजन की कमी के कारण चेतना, मानसिक संतुलन खोकर मारे जाते हैं। अक्षम, घायल या मरते हुए लोगो को नीचे लाने में जान का जोखिम होता है इसलिए इस पर्वत पर 250 से अधिक मृत पर्वतारोहियों के शरीर जस के तस पड़े हैं जिनमे हर साल कुछ लाशों का इज़ाफ़ा होता है। चीमा को उसकी शंकाओं का समाधान मिल गया था। बदली पहचान के साथ रिक इस दल को एवरेस्ट की ऊंचाई पर ख़त्म करने वाला था। बिना वक़्त बेकार कर चीमा अपनी टीम के साथ एवरेस्ट चढ़ाई पर निकल पड़ा। उसका पहला लक्ष्य था सर्बाई वैज्ञानिको को बचाना था और उस से भी महत्वपूर्ण रिक को मारना था। टीम को भरोसा था कि चढ़ते या उतरते हुए कभी न कभी तो रिक उनके हाथ लगेगा। कहीं रिक चीन की तरफ से न उतरे इसलिए चीमा ने एक अन्य दल को चीन की तरफ की चढाई की घेराबंदी पर लगाया। चेताने के लिए सर्बा दल को रेडियो संदेश भेजे गए जिनका जवाब नहीं आया। अपनी टीम और गाइड शेरपा को पछाड़ता चीमा रिकॉर्ड समय में 25000 फ़ीट तक पहुँच गया, एवरेस्ट के आखरी “कैंप 4” से उसे एक हेलीकॉप्टर उड़ता दिखाई दिया। इस ऊंचाई से ऊपर हवा की परत इतनी पतली थी की हेलीकॉप्टर सुरक्षित उड़ या उतर नहीं सकता था, नीचे जाते उस हेलीकॉप्टर में चीमा को रिक की एक झलक दिखी। चीमा जान गया था कि अब कोई वैज्ञानिक ज़िंदा नहीं होगा, कुछ मीटर चढ़ाई के बाद उसके अंदाज़े की पुष्टि वैज्ञानिको के निर्जीव शरीर देख कर हो गयी। अधूरी तैयारी की अपनी भूल पर गुस्से से फुफकारता चीमा दुनिया के शिखर, एवरेस्ट की छोटी से सिर्फ 250 मीटर से नीचे लौट आया।
वर्ष 1980
सर्बाई नौसेना, वासुसेना की घेराबंदी से क्रोनेशिया की तीनो सेनाओं की गतिविधियां सीमित हो गयी थी। चीमा को एक से अधिक इंटेल मिली कि 8 महीनो से क्रोनेशिया से बाहर मौजूद रिक को हर हाल में क्रोनेशिया लौटना था। बाहरी देशो द्वारा बहिष्कार करने के बाद देश के 2 नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र और परमाणु हथियारों बनाने का पूरा ज़िम्मा रिक और उसकी टीम पर आ गया था। चीमा के मार्गदर्शन में सर्बा की भारी घेराबंदी की वजह से रिक द्वारा क्रोनेशिया में घुसने की 2 कोशिशें नाकाम हो चुकी थी। क्रोनेशिया का तीन तरफ से सर्बा से घिरा होना रिक की परेशानी की सबसे बड़ी वजह थी। केवल समुद्र के रास्ते ही रिक अपने देश में जा सकता था, जिसके आस-पास सर्बाई नौसेना और एजेंट्स का जाल बिछा था।
2 यात्री विमान सर्बा के समुद्री क्षेत्र के ऊपर उड़ते हैं जिनको ट्रेस कर तुरंत सर्बाई लड़ाकू विमान भेजे जाते हैं। इन यात्री विमानों से संपर्क करने पर कोई जवाब नहीं आता। लड़ाकू विमान द्वारा चेतावनी के अन्य तरीके भी विफल हो जाते हैं। अचानक अंदर हुए धमाकों के साथ क्षतिग्रस्त विमान क्रैश होने लगते हैं। दोनों विमान समुद्र में क्रैश ना होकर सर्बा शासित दो टापुओं पर गिरते हैं। इन टापुओं पर सर्बा के 2 महत्वपूर्ण परमाणु संयंत्र थे जिनके कोर के पास गिरकर विमानों ने भारी तबाही मचाई। इन टापुओ और आस-पास के समुद्री क्षेत्र में विकिरण फ़ैल गया, जिस वजह से सर्बा को इन्हें क्वारंटाइन घोषित करना पड़ा। लड़ाकू विमान पायलट्स ने आँखों देखा हाल बताया पर क्रोनेशियाई सरकार और मीडिया ने खबर फैलाई कि किस तरह मासूम पर्यटकों से भरे विमानों को सर्बा वायुसेना द्वारा मार गिराया गया। टापू पर पड़े और समुद्र में तैरते मानव अवशेष इस बात की पुष्टि कर रहे थे। विदेशी मीडिया को मृत पर्यटको की तस्वीरें, लिस्ट बांटी गयी, उनके नाम पर स्मारक बनाये गए और मानवीय आधार पर सर्बा की विश्वभर में कड़ी निंदा हुई। इस घटना से सर्बा को दोहरा नुक्सान हुआ था उसके परमाणु संयंत्र तबाह हुए जिनसे फैले विकिरण के कारणउसको टापुओ पर से हटना पड़ा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी होने के साथ कुछ प्रतिबंध भी लग गए। नुक्सान का जायज़ालेता और टापुओं पर से सामान समेटता चीमा जानता था कि इतने बड़े षडयंत्र के पीछे सिर्फ रिक हो सकता है। बाद में मानव अंशो की जांच और अपने सूत्रों से उसके पता चला कि दोनों यात्री विमानों के दोनों पायलट आत्मघाती मिशन पर थे और बड़ी चालाकी से उन्होंने अपने आपको दो टापुओं के संयंत्रो पर क्रैश किया। विमान के अंदर मौजूद यात्री पहले से ही मृत लोग थे, जिन्हें अलग-अलग मुर्दाघरों से लाया गया था और काल्पनिक पहचान दी गयी थी। चीमा का दिमाग घूम रहा था। वह उलझन में था कि क्या वह रिक की किसी और चाल को नाकाम करने का इंतज़ार करे या अपने तरीके से इन हमलो का जवाब दे। बार-बार के रक्षात्मक रवैये से चीमा परेशान हो चुका था। उसने ठाना कि जब रिक लोगो की जान, सही-गलत की परवाह नहीं करता तो उसे भी देशहित के लिए इतना नहीं सोचना चाहिए। अब उसने क्रोनेशिया को रिक के अंदाज़ में ही नुक्सान पहुंचाने के लिए कुछ योजनाएं बनानी शुरू की, जो काफी लंबे समय से उसकी रक्षात्मक योजनाओ के बिल्कुल उलट थीं। चीमा ने अपने नेटवर्क के ज़रिये क्रोनेशिया को भारी कीमत पर दोयम दर्जे की रक्षा पनडुब्बियां दिलवायी। कुछ समय बाद उसने क्रोनेशिया की एक छावनी में स्थित झील को विषाक्त कर दिया। क्रोनेशियाई सरकार और एजेंट्स सतर्क हो गए थे इसलिए कुछ समय के लिए सर्बा सरकार ने उसे फिर से रिक संबंधी टीम की ज़िम्मेदारी सौंप दी। चीमा दोबारा उस रक्षात्मक एजेंट पिंजरे में आ गया था जिससे वह नफरत करता था। अपने हर मिशन में जान लड़ाने के बाद भी चीमा की एक नज़र हमेशा पुराने दुश्मन रिक की ख़बरों पर बनी थी। वह जानता था कि अब तक रिक को क्रोनेशिया घुसने में सफलता नहीं मिल पाई है। चीमा यह किस्सा हमेशा के लिए ख़त्म कर देना चाहता था ताकि फिर कभी उसे इस भूमिका में ना बंधना पड़े। क्रोनेशिया सम्बंधित 2 छोटे पर सफल मिशन अंजाम देने के बाद चीमा का आत्मविश्वास बढ़ गया था। इस काम के लिए उसने अपनी टीम में 2 दर्जन जूनियर एजेंट्स जोड़ लिए थे। सर्बाई खेमे को सूचना मिली कि चीमा की सतर्कता से रिक महीनों से क्रोनेशिया में घुस नहीं पा रहा है, ऐसे में चीमा की जान को खतरा है।
कुछ दिनों बाद तड़के सर्बा सुरक्षा राडारों पर चमकते एक बिंदु ने हड़कंप मचादिया। एक विशालकाय अज्ञात कार्गो विमान सर्बा की समुद्री सीमा के ऊपर उड़ रहा था जो कुछ ही देर में सर्बा में प्रवेश करने वाला था। पहले की तरह विमान को भेजे गए सभी संदेशो का कोई जवाब नहीं आया। चीमा समुद्री युद्ध पोत पर अपनी टीम के साथ सारे घटनाक्रम पर नज़र रखे था। एक फाइटर प्लेन कार्गो विमान को चेताने पहुंचा। चीमा के अनुसार सर्बा की सतर्कता के चलते क्रोनेशिया दोबारा विमान इच्छित स्थान पर क्रैश करने वाली हरकत नहीं कर सकता था, उसे मामला कुछ और ही लग रहा था। इस बार सर्बाई फाइटर प्लेन पहले से आधुनिक और कार्गो प्लेन को हवा में ही निष्क्रिय करने में सक्षम था। लड़ाकू विमान पायलट ने जब पास से कार्गो विमान के कॉकपिट को देखा तो उसमे दो मृत या बेहोश पायलट पड़े थे और कुछ महिलाएं मदद के लिए हाथ हिलाती दिख रही थी। पायलट ने उन्हें रेडियो गियर पहनने का इशारा किया। रेडियो पर महिलाओं ने बताया की कॉकपिट में हवा का दबाव कम होने के कारण दोनों पायलट बेहोश हो गए हैं, जिस वजह से विमान एक दिशा में उड़ा जा रहा है। फाइटर पायलट और ग्राउंड कण्ट्रोल ने उन महिलाओं को विमान को हवा में रखने के सीमित निर्देश दिए जो वो समझ सकें। सब सुनने के बाद चीमा का शक बना हुआ था, सर्बाई नौसेना अलर्ट पर थी। आखिरकार महिलाएं एक पायलट को होश में लाने में सफल रही लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। कार्गो विमान का ईंधन ख़त्म हो चूका था और विमान को समुद्र में क्रैश लैंडिंग करनी पड़ी। विमान पानी को छूते ही टुकड़ो में बिखर गया। लगभग 70 महिलाएं पैराशूट पहन कर पहले ही विमान के पिछले द्वार से कूद चुकी थी। चीमा को लग रहा था कि विमान में जैविक हथियार हो सकते हैं जो सर्बा के समुद्री क्षेत्र में तबाही मचा सकते हैं। विमान सर्बा के आखरी टापू बेस और क्रोनेशिया की समुद्री सीमा से कुछ मील दूर ही क्रैश हुआ था। चीमा ने युद्ध पोत के बजाए अन्य छोटे माध्यमो से जाने का फैसला लिया। जोखिम लेते हुए उसने कुछ स्टीमर और बड़ी नावों से मलबे और पानी में तैर रही महिलाओं को घेरा और बंदी बनाकर टापू के सैन्य बेस पर ले आया। सभी महिलाओं की तलाशी ली गयी। इतनी बड़ी घटना में रिक का हाथ हो सकता था जिस वजह से चीमा ने अपनी महिला सैनिको से ख़ास इस बात की पुष्टि करवाई कि क्या ये सभी महिलाएं ही हैं या इनमे कोई पुरुष, किन्नर भी छुपा है, सब महिलाएं थी। अब बारी थी गहन पूछताछ की, जिसके लिए अगर कड़ा टॉर्चर ज़रूरी हो तो उसके निर्देश थे। आश्चर्यजनक रूप से बंदी महिलाएं थोड़ी प्रताड़ना में ही बोलने लगी। उन्होंने बताया कि वह क्रोनेशिया की कॉलेज कैडेट्स हैं जो एक सहायक देश तोरमा में नर्सिंग की ट्रेनिंग ले कर लौट रही थी। पहले उनका विमान अंतरराष्ट्रीय मार्ग से उड़ रहा था पर अचानक कॉकपिट में दबाव कम होने से पायलट बेहोश हो गए और विमान सर्बा की सीमा में चला गया। चीमा के पास बैठे मनोवैज्ञानिको, वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों का यही मत था कि ये महिलाएं सैनिक या एजेंट नहीं थी। इन दलीलों का चीमा पर कोई असर नहीं पड़ रहा था और वह एक-एक कर सभी महिलाओं से पूछताछ करने लगा। घंटो बाद कोई निष्कर्ष ना निकलने पर चीमा को ऊपर से आदेश आया कि महिलाओं की संख्या अधिक है इसलिए उन्हें छोड़ दिया जाए। सर्बा फिर से अंतरराष्ट्रीय बहिष्कार, किरकिरी नहीं चाहता था। चीमा ने बातों में अनियमितता, उलझन दिखा रहीं 11 महिलाओं को रोककर बाकी को जाने दिया। हालांकि, इन महिलाओं को वह अब 48 घंटो से अधिक नहीं रोक सकता था पर उसे विश्वास था कि वह किसी ना किसी लीड तक ज़रूर पहुंचेगा।
चीमा और उसके दल ने इन महिलाओं को और प्रताड़ना दी। चीमा के दिमाग में एक उलझन खटक रही थी कि कोई ऐसी बात है जो उसके दिमाग में नहीं आ रही है। कुछ तो छूट रहा है। आखिरकार कुछ कैडेट्स ने क्रोनेशिया से जुड़े कुछ नक़्शे, ख़ुफ़िया जानकारी दी। 48 घंटे पूरे होने के बाद बेजान सी हो चुकी कैडेट्स को क्रोनेशिया तटरक्षक नौका को सौंप दिया गया। नौका के आँखों से ओझल होते हुए चीमा विडियोगेम खेलने लगा, कुछ देर बाद उसके अवचेतन मस्तिष्क की एक छोटी सी जानकारी ने उसे झटका दिया। क्रोनेशिया में तो ऐसी कोई कैडेट ट्रेनिंग नहीं होती, ना ही वहां की किसी सेना में महिलाएं हैं। चीमा का दिमाग घूम गया, वह कुछ स्टीमर्स के साथ नौका के पीछे गया। अब दौड़ अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा से क्रोनेशियाई सीमा तक जाने की थी। अगर क्रोनेशिया तटरक्षक नाव अपनी सीमा में पहुँच जायेगी तो उसपर हमला करना समुद्री जंग छेड़ सकता था। जिसका डर था वही हुआ, वह नाव अपने देश के तट से कुछ ही दूर थी। निराश चीमा को लौट जाना पड़ा। उसे याद आया कि वह क्या चीज़ थी जो उसका दिमाग पकड़ नहीं पा रहा था। एक औरत का चेहरा जाना-पहचाना लग रहा था…बिलकुल रिक जैसा। जब अपने क्रोनेशिया में घुसने की कई कोशिशें नाकाम हो गयी तो देश सेवा के लिए रिक और उसकी टीम ने सेक्स चेंज ऑपरेशन और हॉर्मोन थेरेपी की मदद से अपना लिंग बदल लिया था। अब वो सब वाकई में महिला बन गए थे। यह कार्गो विमान का सारा ड्रामा रिक स्मिथ और उसकी टीम ने अपने देश में घुसने के लिए रचा था। मुस्कुराता हुआ चीमा मन ही मन अपने सबसे बड़े दुश्मन की तारीफ़ कर रहा था पर उसने अभी हार नहीं मानी थी, चीमा के मन में बदला लेने की भावना और प्रबल हो गयी थी।
============
अपना उधार ले जाना! (नज़्म) – मोहित शर्मा ज़हन
November 20, 2016 at 1:53 pm (Comics, Freelance Talents, Hindi, India, Info, Mohit Trendy Baba, nazm, Poet Mohit Sharma, poetic post, Uncategorized, update)
Tags: kavya comics, Mohit-Trendster, Mohitness, nazm, Poetry, tribute

कलाकार श्री सुरेश डिगवाल
November 14, 2016 at 8:43 pm (Article, Comics, Hindi, Indian Comics, Indian Comics Fandom, Mohit Trendy Baba, Uncategorized)
Tags: Artwork, Comics, Histoy, illustration, Mohit-Trendster, Mohitness, updates, writeup
मेरे एक कलाकार-ग्राफ़िक डिज़ाइनर मित्र ने मुझसे शिकायत भरे लहज़े में कहा कि मैं अक्सर भारतीय कॉमिक्स कलाकारों, लेखकों के बारे में कम्युनिटीज़, ब्लॉग्स पर चर्चा करता रहता हूँ पर मैंने कभी सुरेश डिगवाल जी का नाम नहीं लिया। मैंने ही क्या अन्य कहीं भी उसने उनका नाम ना के बरारबर ही देखा होगा। वैसे बात में दम था, अगर एक-दो सीजन का मौसमी कलाकार-लेखक होता तो और बात थी पर सुरेश जी ने डोगा, परमाणु, एंथोनी जैसे किरदारों पर काफी समय तक काम किया। उसके बाद भी कैंपफायर ग्राफ़िक नोवेल्स, पेंगुइन रैंडम हाउस, अन्य कॉमिक्स, बच्चो की किताबों और विडियो गेम्स में उनका काम आता रहा। अब सुरेश जी गुड़गांव में जेनपैक्ट कंपनी में एक कॉर्पोरेट लाइफ जी रहे हैं।
जहाँ तक उनपर होने वाली इतनी कम चर्चा की बात है उसपर मेरी एक अलग थ्योरी है। जिसको तुलनात्मक स्मृति थ्योरी कहा जा सकता है। किसी एक समय में एक क्षेत्र में जनता ज़्यादा से ज़्यादा 4 नाम ही याद रख पाती है (बल्कि कई लोगो को सिर्फ इक्का-दुक्का नाम याद रहते हैं)। उन नामो के अलावा उस क्षेत्र में सक्रीय सभी लोग या तो लम्बे समय तक सक्रीय रहें या फिर उन नामो को नीचे धकेल कर उनकी जगह लें। भाग्य और अन्य कारको से अक्सर कई प्रतिभावान लोग उस स्थान पर नहीं आ पाते जिसके वह हक़दार होते हैं, ओलंपिक्स की तरह दशमलव अंको से छठवे, सातवे स्थान या और नीचे स्थान पर रह जाते है जहाँ आम जनता स्मृति पहुँच नहीं पाती। सुरेश जी का दुर्भाग्य रहा कि एक समय वह इतना सक्रीय रहते हुए भी प्रशंसको के मन में बड़ा प्रभाव नहीं छोड़ पाए।
उनकी इंकिंग, कलरिंग जोड़ियों पर टिप्पणी नहीं करूँगा पर मुझे उनकी शैली पसंद थी। मुझे लगता है अगर वह कुछ और प्रयोग करते, कुछ भाग्य का साथ मिल जाता तो आज मुझे अलग से उनका नाम याद ना करवाना पड़ता। एक वजह यह है कि बहुत से कलाकारों को अपना प्रोमोशन करना अच्छा नहीं लगता, इन्टरनेट-सोशल मीडिया की दुनिया से दूरी बनाकर वो अपनी कला में तल्लीन रहते हैं। खैर, कॉमिक्स के बाहर एक बहुत बड़ी दुनिया है जहाँ सुरेश डिगवाल जी कला निर्देशन, एनिमेशन, चित्रांकन, विडियो गेम्स, ग्राफ़िक डिजाईन और शिक्षा में अपना योगदान दे रहे हैं। आशा है आगे हम सबको उनका काम निरंतर देखने को मिलता रहेगा।
अधिक जानकारी के लिए इन्टरनेट पर सुरेश जी की ये मुख्य प्रोफाइल्स और पोर्टफोलियो हैं –
https://www.behance.net/yogmaya
http://www.coroflot.com/Yogmaya/portfolio
https://www.linkedin.com/in/sureshdigwal
NWCP Championship and ICF Awards 2016 Winner
October 11, 2016 at 8:04 pm (Awards, contest, Indian Comics Fandom, Mohit Sharma Trendster, Mohit Trendy Baba, Mohitness, podcast, Poetry, Uncategorized, update)
Tags: adventure, awards, crime fiction, Fiction, Horror, Indian Comics Fandom Awards, news
*) – Thrilled to have won the inaugural ‘War of Kalam’ contest by New World Comics Publication – NWCP….I was impressed with the talent of the young writers and their hunger for genres like horror, comedy, adventure, superheroes and crime fiction.Congratulations to finalists Abhishek, Fahad and Himanshu. Special Mention – Ankur, Rishav and Rajneesh.
Performance Breakdown (NWCP WOK: 20 September 2016 – 10 October 2016)
Round 1 – Rank #05/29 (Theme: General)
Round 2 – Rank #01/09 (5-theme mix – Horror, Comedy, Crime fiction etc)
Round 3 (Final) – Rank #01/04 (Create a Character Universe)
….will soon share the stories.
#NWCP #WOK #warofkalam #mohitness #mohit_trendster #trendybaba #ज़हन
============
*) – Comics Memories Podcast Series and Kavya Comics Series won Bronze Position (Best Fan work of the year) and Silver Position (Best Webcomic) respectively in Poll based 4th Annual Indian Comics Fandom Awards 2016 #ICF_2016.